Best Places To Explore In Ahmedabad: हमदाबाद गुजरात राज्य का सबसे बड़ा शहर है। साथ भारत के सबसे बड़े शहरों में अहमदाबाद का नाम सातवे नंबर पर आता है। साबरमती नदी के किनारे बसा अहमदाबाद शहर को 1411 ई. में सुल्तान अहमद शाह ने बनाया था। अहमदाबाद भारत के राष्टपिता महात्मा गाँधी जी का प्रमुख केंद्र भी है। गाँधी जी ने यही पर अपने साबरमती आश्रम को बनाया। साथ ही दांडी यात्रा की शुरुवात अहमदाबाद से ही हुई थी। यहाँ की बांधनी साड़ियां, सोने के काम और हाथ से बने हुए कपडे पुरे देश में प्रसिद्ध है।
इसके साथ ही, अहमदाबाद का नवरात्रि उत्सव देश के सबसे बड़े आयोजनों में से एक है, जहां गरबा और डांडिया का मजा लिया जाता है। अहमदाबाद के प्रमुख पर्यटन स्थलों में कांकरिया झील, अदलाज की वाव, सिदी सैयद की जाली और जामा मस्जिद मस्जिद जैसे स्थल शामिल है। यहाँ आपको अहमदाबाद में घूमने लायक जगहों के बारे में जानकारी मिलेगी, इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।
12 Places To Explore In Ahmedabad
1. Sabarmati Ashram
साबरमती आश्रम को 1917 में महात्मा गाँधी ने स्थापन किया था। इस आश्रम को ‘गांधी आश्रम’ और ‘हरिजन आश्रम’ के नाम से भी जाना जाता है। यह वही आश्रम है, जहां गांधी जी ने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों का प्रचार किया। साबरमती आश्रम से ही गांधीजी ने 1930 में दांडी यात्रा की शुरुवात की थी। ये यात्रा नमक सत्याग्रह है महत्वपूर्ण हिस्सा था। आश्रम में गाँधी जी का जीवन बेहद सामन्य था। यहाँ आपको गाँधी जी का निवास स्थान देखने को मिलता है। जिसे ह्रदय कुंज कहा जाता है।
आश्रम में एक संग्रहालय भी तैयार किया है, जहां गाँधी जी के जीवन की प्राचीन वस्तुएं, कहानियां, तस्वीरें और दस्तावेज का प्रदर्शन किया है। साथ ही यहाँ भारत के स्वतंत्र में हुई सभी घटनाओं के बारे में जानकारी का प्रदर्शन है। आश्रम के अंदर विनोबा कुटीर और उपासना मंदिर जैसे धार्मिक स्थल भी है। साथ ही महात्मा गाँधी जी के सहयोगी और मैनेजर का घर “मगन निवास” भी देखने को मिलता है। इस आश्रम को देखने यहाँ हजारों पर्यटक यहाँ जाते है।
2. Adalaj Vav
अदलाज की वाव अहमदाबाद के पास अदलाज गांव में स्थित एक प्रसिद्ध और प्राचीन सीढ़ीदार कुआं है। इस कुए को 15वी शताब्दी में बनवाया गया था। इस वाव का निर्माण रानी रुदाबाई ने अपने पति राजा वीर सिंह की याद में करवाया था। उस समय राजा वीर सिंह वहां के राजा हुआ करते थे। इस वाव का निर्माण 1499 में पूरा हुआ है, लेकिन इतनी पुराणी होने के बाद भी ये आज के दिन लोगों के बिच प्रसिद्ध है।
अदलाज की वाव पांच मंजिला गहरी है, और इसमें उतरने के लिए सीढ़िया बनाई है। यहां आपको प्राचीन स्तंभ, गुबंद और फूल, जानवर, भगवान की नक्षीकाम देखने को मिलता है। साथ ही यहाँ हिन्दू और इस्लामी शैलचित्र भी बनवाये गए है। इस वाव का निर्माण उस समय पानी को बचाने के लिए गया था। प्राचीन कथाओं के अनुसार, इस वाव का निर्माण राजा वीर सिंह ने किया था।
लेकिन बाद में उनकी मृत्यु हो गई, फिर बाद में महमूद बेगड़ा ने इस वाव को पूरा करने का काम शुरू करने का वाद जनता को किया। लेकिन महमूद बेगड़ा ने इस काम के बदले एक शर्त रखी की, में रानी रुदाबाई से विवाह करूँगा, जो राजा वीर सिंह की पत्नी थी। लेकिन रानी ने इस शर्त को मंजूर नहीं किया और बाद के वाव का काम पूरा करके, उसमे कूदकर अपना बलिदान दे दिया।
3. Jama Masjid
जामा मस्जिद अहमदाबाद की सबसे बड़ी और प्राचीन मस्जिदों में से एक है। इसका निर्माण अहमद शाह प्रथम ने 1424 में किया था। अहमद शाह प्रथम अहमदाबाद के संस्थापक और गुजरात सल्तनत के पहले शासक हुआ करते थे। यह मस्जिद अहमदाबाद शहर के बिच में होने के कारन, इसकी लोकप्रियता बहुत ज्यादा है। इस मस्जिद को बनाने के लिए पिले बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है।
मस्जिद में बड़े बड़े स्तंभ, खिड़किया और हिंदू और इस्लामी वास्तुकला देखने को मिलती है। मस्जिद सामने एक बड़ा आंगन है, और उस आँगन में नमाज से पहले (वजू) हाथ और पैर धोने के लिए एक सुंदर तालाब बनवाया गया है। ये आंगन इतना बड़ा है की, इसमें एक साथ 2500 से भी ज्यादा मुस्लिम भाई नमाज अदा कर सकते है। जामा मस्जिद की सभी मीनारों को बनाने के लिए संगमरमर का इस्तमाल किया गया है। प्राचीन कथाओं में कहा जाता है की, इस मस्जिद को बनाने का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम भाई को एकजुट करना था। इस मस्जिद में रमजान के कई सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
4. Kankaria Lake
कांकरिया झील अहमदाबाद की सबसे बड़ी और लोकप्रिय झीलों में से एक झील है। इस झील को 15वीं शताब्दी में सुल्तान कुतुब-उद-दीन ने बनाया था। कांकरिया झील को सबसे पहले “हौज-ए-कुतुब” के नाम से जाना जाता था। यह झील गोलाकार होने के कारन, बिल्कुल एक बड़ा सा कुआ लगता है। इस झील के बिच में एक पर्वत है, जिसे “नागिनवाड़ी” पर्वत नाम से जाना जाता है।
इस पर्वत तक पहुंचने के लिए झील के ऊपर के एक पुल बनाया गया है। इस पुल पर से झील का और पर्वत का एक बेहद खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। झील के बाजु में ही बच्चों के लिए किड्स सिटी, टॉय ट्रेन, झूले और बोटिंग की सुविधाएं की गई है। यहाँ पर एक चिड़ियाघर भी है, जहा सभी प्रकार के जंगली और पालतू जानवर-पक्षी देखने को मिलते है।
इस चिड़ियाघर को “कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय” भी कहा जाता है। इस झील की सबसे खास और लोकप्रिय बात मतलब, झील पर हर शाम को एक भव्य लेजर शो आयोजित किया जाता है। कांकरिया झील पर हर साल दिसंबर के महीने में कांकरिया कार्निवल आयोजित किया जाता है। इस उत्सव में संगीत, डांस, सांस्कृतिक कार्यक्रम और खाने पिने का आयोजन किया जाता है।
5. Sarkhej Roza
सरखेज रोज़ा का निर्माण 15 वी शताब्दी में हुआ था। सरखेज रोज़ा बिल्कुल अकबर के मकबरे की तरह ही दीखता है, इसलिए इसे ‘गुजरात का अकबर का मकबरा’ भी कहा जाता है। यहाँ पर सूफी संत शेख अहमद खट्टू गंज बख्श का मकबरा है। सरखेज रोज़ा का निर्माण मुहम्मद शाह बेगड़ा के शासनकाल में हुआ था। कहा जाता है की, मुहम्मद शाह बेगड़ा सूफी संत शेख अहमद खट्टू की बहुत सेवा करते थे और उनको अपना गुरु मानते थे। इसलिए सूफी संत शेख अहमद खट्टू के निधन के बाद मुहम्मद शाह बेगड़ा ने उनकी याद में इस मकबरे का निर्माण करवाया।
मकबरे के अंदर हिंदू और इस्लामी शैलचित्र देखने को मिलते है। इस के साथ बड़ी बड़ी गुबंद, हिंदू मंदिर और प्राचीन नक्षीकाम भी यहाँ बनवाया गया है। यह मकबरा एक बड़े से झील के किनारे पर स्थित है। इस मकबरे में रमजान के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। साथ ही हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक सूफी संत शेख अहमद खट्टू के मकबरे में श्रद्धांजलि देने आते हैं। मकबरे के अंदर आपको शांति और प्राचीन संस्कृति का अनुभव मिलता है।
6. Vastupurusha Museum
अहमदाबाद के साबरमती आश्रम के पास में स्थित वास्तुपुरुष संग्रहालय एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह संग्रालय महात्मा गाँधी और भारतीय स्वतंत्र की कहानिया बताने के लिए तैयार किया गया है। वास्तुपुरुष संग्रहालय की स्थापना 1963 में प्रसिद्ध वास्तुकार चार्ल्स कोरिया द्वारा की गई थी। वास्तुकार चार्ल्स कोरिया का मानना था की, गाँधी जी का जीवन जैसे साधा सरल था, उसी तरह इस संग्रहालय का डिज़ाइन सादा और सरल रहे।
वास्तुपुरुष संग्रहालय बनवाने का मुख्य कारन यह था की, महात्मा गाँधी जी के सम्पूर्ण जीवन के बारे में लोगों को जानकारी मिल सके। इस लिए यहाँ गाँधी जी के पुराने वस्तु, दस्तावेज और उनकी लिखी हुई किताबों का प्रदर्शन किया गया है। साथ ही उनके के व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं जैसे कि उनके चश्मे, घड़ी, लकड़ी की छड़ी, चरखा और अन्य वस्तुएं रखी गई हैं। यहाँ पर गाँधी जी जो जो आंदोलन और यात्रा की उनकी तस्वीरें लगाई है। इस संग्रहालय में पर्यटक एक ही वस्तु को सबसे ज्यादा देखने आते है ,और ओ गाँधी जी का “चरखा” है।
साथ ही संग्रहालय में अलग अलग ठिकानों पर बड़ी स्क्रीन के टीव्ही लगाए है, जिसपर गांधी के जीवन पर कई वीडियो और डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई जाती हैं। यहाँ पर हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जी जयंती के अवसर पे कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
7. Siddi Saiyyed Mosque
अहमदाबाद की सिदी सईद मस्जिद अपनी पत्थरों से बनी सुंदर नक्षीकाम के लिए पुरे अहमदाबाद में प्रसिद्ध है। यह मस्जिद शहर के बीचोबीच होने के कारन पर्यटकों को जाना भी बहुत आसान है। सिदी सईद मस्जिद का निर्माण अहमद शाह के दरबार का एक सेवक “सीदी सईद” ने 1573 में किया था, और उस समय यहाँ पर सुल्तान मुज़फ्फर शाह का राज चलता था। इसलिए इस मस्जिद को सीदी सईद नाम से जाना जाता है।
इस मस्जिद को 9 बड़ी बड़ी खिड़किया है, जिसपर बहुत बारीकीसे नक्षीकाम किया गया है। इसके अलावा मस्जिद के सामने एक बड़ासा मैदान है, जहां एकसाथ हजारों मुस्लिम भाई नमाज अदा कर सकते है। ईद जैसे त्यौहार पर यहाँ अलग अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
8. Kalupur Swaminarayan Temple
अहमदाबाद के कालूपुर स्वामीनारायण मंदिर को 1822 में खुद भगवान कालूपुर स्वामीनारायण ने बनाया था। यह मंदिर 200 से भी ज्यादा साल पुराना है, फिर भी पर्यटकों के बिच बहुत लोकप्रिय है। स्वामीनारायण ट्रस्ट के संस्थापक खुद कालूपुर स्वामीनारायण ही थे। मंदिर को बहुत बारीकीसे बनाया गया है, जिसकी दीवारों पर सुन्दर नक्शी बनाई है। मंदिर के परिसर में सभी प्रकारके फूलों के पेड़ लगये है, जो पर्यटकों को प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव दिलाती है। इसके अलावा इस मंदिर के परिसर में नारायण, लक्ष्मीनारायण, राधाकृष्ण, राम सीता जैसे भगवानों के छोटे छोटे मंदिर देखने को मिलते है। स्वामीनारायण जी के जयंती पर यहाँ भजन, महाप्रसाद जैसे कार्यक्रमों का आयोजन मंदिर के ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है।
9. Ellisbridge
अहमदाबाद की प्रसिद्ध साबरमती नदी के ऊपर बनाया गया एलिस ब्रिज एक ऐतिहासिक ब्रिज है। इस ब्रिज का निर्माण 1892 में ब्रिटिश शासन के दौरान किया गया था। इस ब्रिज का नाम उस समय के बॉम्बे प्रेसीडेंसी के गवर्नर सर बार्टल फ्रेरे की पत्नी एलिस के नाम पर रखा गया था। उस समय इस ब्रिज को पूरी तरह से लकड़ियों से बनाया गया था, लेकिन बाद में यह ब्रिज कमजोर हो गया। फिर 1895 में इसे लोहा और सीमेंट की मदत से नया बनाया गया।
साबरमती नदी पर बसा यह ब्रिज 384 फिट लंबा और 40 फिट चौड़ा है। उस समय इस ब्रिज पर वाहन और पैदल चलने वाले लोगों के लिए उपयोग किया जाता है। फिर बाद में इसे सिर्फ पैदल चलने वाले लोगों के लिए उपयोग किया जाने लगा। ब्रिज के 1895 के काम के बाद इस ब्रिज को फिर से 1980 में पुनर्निर्माण किया गया। इस ब्रिज पर से साबरमती नदी का बहुत खूबसूरत नजारा देख सकते है।
10. Kamla Nehru Zoo
अहमदाबाद के कांकरिया झील के पास स्थित कमला नेहरू चिड़ियाघर बहुत अच्छा पर्यटन स्थल है। यह परिवार और बच्चों के साथ पिकनिक का आनंद लेने के लिए बहुत अच्छा स्थान है। कमला नेहरू चिड़ियाघर का निर्माण 1951 में किया गया है। इस पार्क का नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी कमला नेहरू जी के नाम से रखा गया है। इस चिड़ियाघर को भारत के सबसे बड़े और सबसे स्वच्छ चिड़ियाघरों में से एक माना जाता है।
यहाँ पर बाघ, तेंदुआ, हाथी, मगरमच्छ, भालू, गेंडा, हिरन जैसे सभी प्रजातियों के जंगली जानवर देखने को मिलते है। जंगली जानवरों के अलावा यहाँ प्यारे और सुन्दर पक्षी भी है। जैसे की, मोर, तोता, बगुला, सारस, चीनी तीतर, हिम तीतर। यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय जून से जनवरी के बिच का होता है। इस चिड़ियाघर की सबसे खास बात यह है की, यहाँ एक नाइट सफारी भी आयोजित की जाती है, जिससे पर्यटकों को रात के समय में जानवरों को देखने का मौका मिलता है।
11. Shreyas Museum
अहमदाबाद के श्रेयस म्यूजियम की स्थापना अहमदाबाद के श्रेयस टेक्सटाइल्स के संस्थापक श्री चमनभाई पटेल ने 1977 में की थी। यह म्यूजियम अहमदाबाद के सबसे बड़े म्यूजियम में से एक है। यहाँ आपको गुजरात की प्राचीन वस्तुओं का संग्रह देखने को मिलता है। जिसमे ज्वैलरी, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुएँ, लोकगीत, कपड़ो की डिज़ाइन, गुजरती बर्तन और बाकि संग्रह शामिल है। आने वाली नई पीठि को प्राचीन गुजरात के बारे में आसानी से जानकारी मिल सके इसलिए इस म्यूजियम का निर्माण किया है।
12. Rani No Hajiro
पुराने अहमदाबाद में स्थित रानी नो हजिरो एक बहुत आकर्षित पर्यटन स्थल है। इसे क्वीन्स टॉम्ब्स या रानियों का मकबरा भी कहा जाता है। इस जगह पर अहमदाबाद के सुल्तानों की रानियों के मकबरे है। रानी नो हजिरो को 15वीं शताब्दी में सुल्तान अहमद शाह के कार्यकाल में बनाया गया था। इन सभी मकबरों का काम बहुत सुन्दर किया गया है। जिसपर बारीकी से इस्लामी नक्षीकाम किया है। इन मकबरे को देखने के लिए यहाँ साल हजारों पर्यटक आते है।
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