मुंबई को भारत को आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। मुंबई भारत देश का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है। अरबी समुद्र के किनारे पर बसा मुंबई शहर महाराष्ट्र राज्य की राजधानी भी है। अंग्रजो जो ने मुंबई का पहले का नाम “बॉम्बे” रखा हुआ था, लेकिन बाद में इसे बदलकर मुंबई रखा गया, जो मुंबई की देवी “मुम्बा देवी” के नाम से रखा गया। यह देवी मुंबई की संरक्षक देवी मानी जाती है। मुंबई में देश का प्रमुख शेयर बाजार (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) स्थित है, जो भारत की औद्योगिक और वित्तीय क्षेत्रों को बढ़ावा देता है।
मुंबई को भारतीय फिल्म उद्योग का राजा कहा जाता है, क्यूंकि यहाँ साल सैकड़ो सुपरहिट फिल्मे बनती है। यहाँ कई फिल्म स्टूडियो और प्रोडक्शन हाउस भी हैं। मुंबई में हर धर्म, भाषा और संस्कृति के लोग होने के कारन इसे, “मिनी इंडिया” भी कहां जाता है। मुंबई में गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दीवाली, ईद, क्रिसमस और बाकि त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। यहां हर साल गणेश चतुर्थी के दोनों में भक्त देश विदेष यहाँ आते है। इस लेख में आपको मुंबई में घूमने के लिए सबसे अच्छे पर्यटन स्थल कोण से है, इस की जानकारी मिलेगी। इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।
1. Gateway of India
गेटवे ऑफ़ इंडिया मुंबई का सबसे लोकप्रिय और सबसे ज्यादा देखने जाने वाला पर्यटन स्थल है। गेटवे ऑफ़ इंडिया को राजा जॉर्ज पंचम और रानी मैरी भारत की यात्रा पर आने वाले थे, तब उनके सन्मान में 1924 में बनाया गया था। यह गेट मुंबई के दक्षिण क्षेत्र में स्थित है और यहाँ से अरब समुद्र का नजारा बेहद खूबसूरत दीखता है। गेटवे ऑफ़ इंडिया को बनाने के लिए इन्डो-सारासेनिक शैली का उपयोग किया गया है। गेटवे ऑफ इंडिया की ऊंचाई लगभग 26 मीटर ऊँचा है।
इसे बनाने के लिए सबसे मजबूत पत्थर पीले बेसाल्ट का इस्तमाल किया गया है। साथ ही यह वही स्थल है, जहां से ब्रिटिश सेना ने भारत छोड़ते समय विदाई ली थी। इस गेट को बनाने का प्रस्ताव 31 मार्च 1911 में रखा गया, लेकिन कुछ वजह से इसको बनाने का काम 1915 में शुरू हुआ। बाद में इस का काम 1924 में पूरा हुआ, मतलब गेटवे ऑफ़ इंडिया को बनाने में कुल 13 साल का समय लगा। यह गेट अरबी समुद्र के किनारे होने के कारन, यहां फोटो भी बहुत अच्छे आते है।
यहाँ आप सूर्योदय और सूर्यास्त के समय का खूबसूरत नजारा देख सकते हो। गेटवे ऑफ इंडिया के सामने मुंबई का प्रसिद्ध ताजमहल पैलेस होटल स्थित है। यहाँ पर गणेश चतुर्थी और नये साल के अवसर पर कुछ सांस्कृतिक कार्यकमो का आयोजन किया जाता है।
2. Marine Drive Mumbai
मरीन ड्राइव मुंबई का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। जिसे मुंबई के सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाले पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यह 3.6 किलोमीटर लंबा समुद्र किनारे का मार्ग है, जो नरीमन पॉइंट से शुरू होकर गिरगांव चौपाटी तक जाता है। साथ ही इसे ‘क्वीन नेकलेस’ के नाम से भी जाना जाता है, क्यूंकि जब रत के समय में इसकी स्ट्रीट लाइट्स जलती है, तो बिल्कुल हीरो के नेकलेस की जैसे चमकती है। यहाँ से अरबी समुद्र बेहद खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है।
इस जगह पर पर्यटक शाम के समय में सैर करने, ताजा हवा लेने और समंदर की लहरों का आवाज सुनने के लिए आते है। मरीन ड्राइव पर से सूर्यास्त का नजारा बहुत खूबसूरत दीखता है। समुद्र के किनारे बैठकर सूरज को धीरे-धीरे निचे जाने देखने का मजा ही अलग होता है। मरीन ड्राइव पर सुबह और शाम के समय बहुत लोग जॉगिंग और वॉक करने के लिए आते है। इसके साथ मरीन ड्राइव को कई बॉलीवुड फिल्मों में दिखाया गया है। मुंबई का एक और प्रसिद्ध बिच मतलब “गिरगाव चौपाटी” यह मरीन ड्राइव का आखरी पॉइंट है। यहाँ मुंबई के प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड जैसे भेलपुरी, पानीपुरी और वड़ा पाव का मजा आप ले सकते हो।
3. CST Mumbai
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुंबई का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन और ऐतिहासिक स्थल है। जिसे पहले विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से जाना जाता था।यह रेलवे स्टेशन भारत का सबसे ज्यादा भीड़ भाड़ वाला रेल्वे स्टेशन में से एक है। यहाँ हर रोज हजारों यात्री अपनी ट्रेन की लंबी यात्रा तय करते है। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस को महारानी विक्टोरिया के स्वर्ण जयंती के अवसर पर 1887 में बनाया गया था। इसका डिज़ाइन ब्रिटिश वास्तुकार फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस ने बनाया था।
इस स्टेशन को तैयार होने में कुल 10 साल का समय लगा था। इसका डिज़ाइन ब्रिटिश और भारतीय प्राचीन शैलचित्र से तैयार किया है। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस को 2004 में UNESCO के द्वारा भारत की विरासत का ऐसी मान्यता दी गई है। स्टेशन के अंदर बड़े झूमर, विट्राज ग्लास और खूबसूरत नक्षीकाम किया गया है। CST के पास में ही भाऊ दाजी लाड म्यूज़ियम, गेटवे ऑफ इंडिया, और ताजमहल पैलेस होटल जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। CST को देखने का सबसे अच्छा समय रात का होता है, क्यूंकि इस समय CST की इमारत को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है, जो देखने में बहुत खूबसूरत लगता है।
4. Siddhivinayak Temple
सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर मुंबई के दादर में स्थित है। इस मंदिर में भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। यहाँ हर दिन हजारों भक्त गणपति बाप्पा के दर्शन के लिए आते है। खास करके मंगलवार गणेश जी वार माना जाता है, तो उस दिन यहाँ बहुत ज्यादा भक्त आते है। सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 को एक वहा के ठेकेदार लक्ष्मण विठ्ठू पाटिल ने किया था।
मंदिर को बनाने के पीछे एक कहानी है की, एक अमीर महिला जिसका नाम देवबाई पाटिल था, और वह निसंतान थी। उन्होंने यह मंदिर इस आशा के साथ बनवाया था कि भगवान गणेश बाकि महिलाओं को संतान का सुख दे। इसके कारण ही यह मंदिर बनाने की प्रेरणा मिली। इस मंदिर में भगवान गणेश जी की बेहद खूबसूरत मूर्ति की स्थापना की गई है। इस मूर्ति में गणेश की जी सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई है, जो शुभ मानी जाती है। यह मूर्ति काले रंग के पत्थर से बनी हुई है, जिसमे गणेश जी अपने हाथों में कमल, कुल्हाड़ी, मोदक, और माला पहनें हुए है।
मंदिर के अंडर का भाग संगमरमर से बनाया गया है और मूर्ति के ऊपर का गुबंद सोने से सजाया गया है। सिद्धिविनायक मंदिर को कई भक्त ‘नवसाचा गणपति’ के रूप में भी जानते हैं,क्यूंकि जो भक्त दिल से भगवान गणेश जी से कुछ मागंता है, तो भगवान उनकी प्रार्थना आवश्य सुनते है और पूरी करते है। इस मंदिर में फिल्मी सितारों से लेकर राजनेता और उद्योगपति भी हर वक्त दर्शन के लिए आते है।
5. Haji Ali Dargah
हाजी अली दरगाह मुंबई के अरबी समुद्र के बीचों बिच स्थित है। यहां इस्लामि संत हाजी अली शाह बुखारी की समाधि है, जो सैयद पीर हाजी अली के नाम से प्रसिद्ध थे। प्राचीन कथाओं अनुसार कहा जाता है की, हाजी अली शाह बुखारी एक मुस्लिम संत थे, जिन्होंने अपने आखिरी समय में मक्का की यात्रा की थी। लेकिन उस यात्रा से वापस आते समय उनका निधन हो गया। उनकी इच्छा थी की निधन के मेरा ताबूद इसी समुद्र में डाला जाये, और लोगों ने वैसा ही किया। लेकिन बाद में वह ताबूद वापस समंदर के किनारे आकर रुक गया, उसके बाद उसी जगह पर हाजी अली दरगाह का निर्माण किया गया।
इस दरगाह का निर्माण 1431 में किया गया था। यह दरगाह एक छोटे से द्वीप पर बनाया गया है, जो समुद्र में है। यह दरगाह मुख्य भूमि से लगभग 500 मीटर की दुरी पर स्थित है। इस दरगाह तक पहुंचने के लिए पहले के समय एक पतला और कच्चा रास्ता था, लेकिन आज के दिन यहाँ एक बड़ा रास्ता और पुल की सुविधाएं की है। बारिश के मौसम में जब समुद्र में पानी बढ़ता है, तो उस समय यह रास्ता पूरी तरह से पानी के निचे आ जाता है।
उस समय दरगाह के चारों ओर पानी ही पानी हो जाता है। हाजी अली दरगाह की वास्तुकला इस्लामी और भारतीय शैली से बनाई गई है और पूरी दरगाल और अंदर की हाजी अली शाह बुखारी की समाधि को सफेद संगमरमर से बनाया गया है। यहाँ हर साल कव्वाली और सूफी संगीत का आयोजन किया जाता है।
6. Elephanta Caves Mumbai
एलीफेंटा गुफाएँ मुंबई का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यह गुफाएँ मुंबई के तट से लगभग 11 किलोमीटर दूर एलीफेंटा द्वीप पर स्थित हैं। इस गुफाओं का निर्माण 5वीं से 7वीं शताब्दी के बीच किया गया था। इन गुफाओं का नाम ‘एलीफेंटा’ पुर्तगालियों ने रखा हुआ है।
पुर्तुगालियो ने यहाँ पर एक बड़े हाथी की मूर्ति देखी थी, इस मूर्ति को आज के दिन मुंबई के भाऊ दाजी लाड म्यूज़ियम में रखी गई है। यहाँ 7 गुफाएं है, जो भगवान शिव को समर्पित हइस गुफाओं में प्रत्थरों से किया गया नक्षीकाम और प्राचीन शैलचित्र देखने को मिलता है। यहाँ के प्रमुख आकर्षणों में भगवान शिव जी की मूर्ति है, जो लगभग 6 मीटर ऊँची है। इस मूर्ति को सृजनकर्ता, संहारक, और पालक इन तीनों रूपों का प्रतिक माना जाता है।
साथ ही इन गुफाओं में शिव जी के अलग अलग रूपों के चित्रण बनाये है, जैसे की नटराज (नृत्य करते हुए शिव), अर्धनारीश्वर (शिव और पार्वती का संयुक्त रूप), और अंधकासुर वध (राक्षस अंधकासुर का वध करते हुए शिव)। इन गुफाओं तक जाने के लिए आपको गेटवे ऑफ़ इंडिया से नाव का उपयोग करना होगा। गेटवे ऑफ़ इंडिया से एलीफेंटा गुफाएँ तक पहुंचने के लिए 1 से 1.30 घंटे का समय लगता है।
7. Mahalaxmi Temple
मुंबई का महालक्ष्मी मंदिर मुंबई के साथ साथ पुरे महाराष्ट्र के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इन मंदिर का निर्माण मुंबई के एक व्यापारी धकजी दादाजी ने 1831 में किया था। इस मंदिर में धन और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध देवी महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। महालक्ष्मी के अलावा यहाँ देवी सरस्वती और देवी काली का भी मंदिर है। मंदिर के अंदर देवी महालक्ष्मी की बहुत सुन्दर मूर्ति की स्थापना की गई है, जीसे सोना और चांदी के आभूषणों से सजाया जाता है।
महालक्ष्मी मंदिर में नवरात्री और दिवाली जैसे बड़े त्यौहार बहुत बढ़िया तरीके से मनाये जाते है। नवरात्री के दिनों में तो यहाँ लाखों भक्तों की बहुत भीड़ लग जाती है। यह मंदिर मुंबई के ब्रीच कैंडी क्षेत्र में है, तो यहाँ जाना बहुत आसान है। महालक्ष्मी मंदिर सुबह 6बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है।
8. Mumbai Film City
मुंबई के गोरेगांव इलाके में स्थित “मुंबई फिल्म सिटी” भारत की सबसे बड़ी फिल्म सिटी में से एक है। यह फिल्म सिटी लगभग 520 एकड़ के क्षेत्र में फैली हुई है। मुंबई फिल्म सिटी को “दादा साहेब फाल्के चित्रनगरी” के नाम से भी जाना जाता है। दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का जनक माना जाता था। इस जगह पर फिल्म, विज्ञापन, सीरियल और व्हिडिओ प्रोडक्शन्स की शूटिंग होती है। इस फिल्म सिटी की स्थापना 1977 में महाराष्ट्र सरकार के ने की थी।
इस फिल्म सिटी में शूटिंग के लिए शहर, गांव, महल, घर, अदालत, जंगल, समुद्र जैसे स्थान बनाये है, जो टीवी में बिलकुल असली लगते है। यह एक ऐसी जगह है, जहां फिल्म की स्क्रिप्ट राइटिंग, शूटिंग, एडिटिंग, पोस्ट-प्रोडक्शन सब होता है।
9. Mumbai Zoo
मुंबई के भायखला क्षेत्र में स्थित मुंबई चिड़ियाघर जिसे वीरमाता जीजाबाई भोसले उद्यान और ज़ू के नाम से भी जाना जाता है। यह चिड़ियाघर मुंबई का सबसे पुराना चिड़ियाघर है। जब मुंबई पर 1861 में ब्रिटिश लोगों का शासन था, उस समय इस चिड़ियाघर को बनाया गया था। फिर बाद में इस चिड़ियाघर का नाम मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की माँ जीजाबाई के नाम पर रखा गया है।
इस चिड़ियाघर में शेर, बाघ, तेंदुआ, हिरण, हिप्पोपोटेमस, सुवर, मगर, बंदर जैसे जंगली और पालतू जानवर पाए जाते है। जानवरों के साथ यहाँ मोर, तोता, अलग अलग प्रजातियों की चिड़िया भी है। इस चिड़ियाघर का सबसे लोकप्रिय आकर्षण पेंगुइन है। 2016 में भारत सरकार ने हम्बोल्ट पेंगुइन को पहली बार भारत में लाया गया था। इस हम्बोल्ट पेंगुइन को देखने के लिए पर्यटक बहुत दूर से यहाँ आते है। चिड़ियाघर के अंदर एक भायखला नाम का संग्रहालय भी है जिसे पहले विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय के नाम से जाना जाता था। भायखला चिड़ियाघर मंगलवार से रविवार सुबह 9 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है।
10. Prince of Wales Museum
प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय मुंबई के सबसे प्राचीन संग्रहालयों में से एक है। इसे आज जिसे अब छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तुसंग्रहालय के नाम से जाना जाता है। जब प्रिंस ऑफ वेल्स 1905 में मुंबई के दौरे पर आये थे, तब इस संग्रहालय की स्थापना की गई थी। प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय में प्राचीन वस्तु, मुर्तिया, पेंटिंग्स, पुराने दस्तावेज, बर्तन जैसे वस्तुओं का संग्रह किया गया है। इसे देखने के लिए हजारों पर्यटक यहाँ शामिल होते है। यह संग्रहालय मंगलवार से रविवार तक सुबह 10:15 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
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