Top 10 Places to visit in Darjeeling: दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल के राज्य में बसा एक बेहद खूबसूरत शहर है। दार्जिलिंग सबसे पहले ब्रिटिश राज के बड़े लोगो का विश्राम करने का स्थान था। दार्जिलिंग की काली चाय सबसे फेमस है। यहाँ पर 1881 में नैरो गेज नाम की हिमालयन रेलवे बनाई गई थी, जिसे “टॉय ट्रेन” के नाम से भी जाना जाता है। दार्जिलिंग आपको बड़ी बड़ी पहाड़, चाय के बगीचे, गतिविधिया, खाने के अनोखे प्रकार देखनेको मिलेंगे। इससे साथ ही आप चाय के बगीचों में टहल सकते हो। वहा के लोगो के साथ चाय की पत्तियों को काट सकते हो।
यहाँ का जीवनमान जानने के लिए आप गांव में पैदल चलकर, गांव वालो से बातचीत कर सकते हो। आप दार्जिलिंग में घूमने के लिए परिवार या दोस्तों के साथ ठंडी के मौसम में आ सकते हो। ठंडी का मौसम मतलब सप्टेंबर से लेकर जनवरी तक। इस लेख में हम आपको दार्जिलिंग में घूमने के लिए कोनसी जगह अच्छी है, इसके बारे में बताने वाले है।
1. Dali Monastery
दाली मठ दार्जिलिंग में घूमने का एक अच्छा पर्यटन स्थल है। इस मठ को वहा के लोग डुक संगग चोलिंग मठ इस नाम से जानते है। दाली मठ पश्चिम बंगाल राज्य के सबसे बड़े मठ में से एक है। इसकी स्थापना 1971 में क्याब्जे थुकसे रिनपोछे द्वारा की गई थी। साथ ही इसके उद्घाटन के लिए दलाई लामा ने 1993 में अजीब दौरा किया था। इस मठ में आपको भगवान बुद्ध की विशाल मूर्ति देखनेको मिलेगी, साथ में प्राचीन काल की मूर्तिकला भी यहाँ पर है।
अगर आपको प्राचीन वास्तुकला की ख़ोज करने में दिलचस्पी है तो, आपको यहाँ पर एक बार जरूर जाना चाहिए। यह मठ सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। मठ देखने के लिए आपको किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं देना होगा। मठ के अंदर आपको शांति और सुकून का एहसाह मिलता है। इस मठ को देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक दार्जिलिंग में आते है।
2. Rock Garden
रॉक गार्डन दार्जिलिंग का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इस गार्डन को बारबोटी गार्डन इस नाम से भी जाना जाता है। यह गार्डन वनस्पतियों, झरनों और स्थानीय लोगो द्वारा बनाए गए पुलों से भरा एक चट्टानी वंडरलैंड है। इस बाग को 1980 में राजनैतिक होने वाली अशांति में फसने वाले पर्यटकों के लिए बनवाया गया था। दार्जिलिंग से यह पार्क लगभग 10 किलोमीटर की दुरी पर है। इस पार्क में आपको बैठने की जगह, झरने, झील, फूलों के बगीचे देखने को मिलेंगे।
अगर आप यहाँ सुबह आते हो तो, शाम कब हो जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा। पार्क सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। अगर आप भी इस पार्क को देखने का प्लान बना रहे है तो, मार्च से सितंबर इस महीने में आने का प्लान बनाये। क्यूंकि इस समय यहाँ का वातावरण बहुत खूबसूरत होता है। पार्क देखने के लिए आपको प्रति व्यक्ति का 20 रुपये प्रवेश शुल्क देना होता है।
3. Batasia Loop
बातासिया लूप दार्जिलिंग का प्रमुख धार्मिल और ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। बातासिया लूप अपनी चढ़ाई वाली रेल पटरी के लिए प्रसिद्ध है। जिसे “टॉय ट्रेन” इस नाम से भी जाना जाता है। इस रेल की विशेषताएं है की टॉय ट्रेन एक लूप वाली रेल पटरी के चारों ओर यात्रा करती है जो कुछ खूबसूरत पार्कों से होकर गुजरती है। जो देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। यह ट्रेन यह से दार्जिलिंग तक 360- डिग्री घूमकर आपको अनोखा मजा दिलाती है।
ट्रेन में से आप पहाड़ो और कंचनजंगा की ऊँची चोटियों का खूबसूरत नजारा देख सकते हो। यह ट्रेन निचे आते समय सर्पाकार रूप में निचे आती है। साथ ही आप यहाँ पर गोरखा युद्ध इनका स्मारक भी देख सकते हो। बातासिया लूप पार्क सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला होता है। पार्क को अंदर से देखने के लिए आपको प्रवेश शुल्क के रूप में 15 रुपये देने होंगे।
4. Singalila National Park
सिंगालीला राष्ट्रीय उद्यान समुद्र तल से 7000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। अगर आप ट्रेकिंग करने के शौकीन है तो, आपको यहाँ पर एक बार जरूर जाना चाहिए। सिंगालीला राष्ट्रीय उद्यान दार्जिलिंग का प्रमुख उद्यान है। इस उद्यान में आप जंगली और पालतू जानवर देख सकते हो। काला भालू, सिरों, तेंदुआ, लाल पांडा, क्लाउडेड तेंदुआ, पीले गले वाला मार्टन, तेंदुआ बिल्ली, क्लाउडेड तेंदुआ, भौंकने वाला हिरण, हाथी, बिल्लिया ये सब जानवर आप इस उद्यान में देख सकते हो।
यह उद्यान 7000 फिट ऊपर होने के कारन यहाँ से आप हिमालय पर्वतरांग का खूबसूरत दृश्य देख सकते हो। इस उद्यान में अच्छे अच्छे फोटो भी खींच सकते हो। सिंगालीला राष्ट्रीय उद्यान सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। उद्यान देखने के लिए आपको 100 रुपये प्रवेश शुल्क देना होता है।
5. Happy Valley Tea Estate
हैप्पी वैली टी एस्टेट एक चाय का बाग़ है। इस बाग़ को 1854 में बनवाया गया था। हैप्पी वैली टी एस्टेट दार्जिलिंग का दूसरा सबसे बड़ा चाय का बाग़ है। यह बाग़ 177 एकड़ में फैला हुआ है। इस बाग़ में आज के दिन 1500 से भी ज्यादा मजदुर काम करते है। यहाँ पर बनने वाली चाय की पत्तियाँ भारत के साथ साथ बाहर के देशों में भी भेजी जाती है। यह बाग़ समुद्र तल से लगभग 2100 मीटर ऊपर है। हैप्पी वैली टी एस्टेट को देखने का समय सुबह 9 बजे से शाम 4:30 बजे तक होता है।
आप यहाँ पर मार्च से सितंबर इस महीने के दौरान आ सकते हो। अगर आपको यह फैक्ट्री/ बाग़ अंदर से देखना है तो, आपको प्रति व्यक्ति का 150 से 200 रुपये प्रवेश शुल्क लगता है। आप यहाँ पर दोस्तों या परिवार के साथजा सकते हो। अगर आपके साथ बच्चे भी है तो, उन्हें यह बाग़ जरूर देखनी चाहिए। क्यूंकि चाय की पत्तियां कैसे बनती है या उनकी खेती किस प्रकार की जाती है, ये बात उनको भी पता चलेगी।
6. Tiger Hills
अगर आपको सूर्योदय देखना अच्छा लगता है तो, आप टाइगर हिल्स दार्जिलिंग जा सकते हो। यहाँ पर सूर्योदय देलख ने के लिए आपको ठंडी हवा से घिरी पहाड़ों से ऊपर जाना होता है। टाइगर हिल्स समुद्र तल से लगभग 8500 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। 11 किलोमीटर की दुरी पर स्थित यह शहर दार्जिलिंग का सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला पर्यटन स्थल है। टाइगर हिल्स से आप कंचनजंगा पर्वत का खूबसूरत दृश्य देख सकते हो।
जब माउंट एवरेस्ट पर सूरज की पहली किरण पड़ती है, तो ओ नजारा सबसे खूबसूरत होता है। क्यूंकि यह किरणे अलग अलग रंगो में चमकती है। यह नजारा देखने के लिए लोग दूर दूर से दार्जिलिंग आते है। टाइगर हिल्स चढ़ते समय अपना और अपने साथ लोगों का ध्यान रखे, क्यूंकि यहाँ का रास्ता बेहद फिसलन भरा और टेढ़ा है। यहाँ पर आपका पूरा दिन बिता सकते हो।
7. Padmaja Naidu Park
पद्मजा नायडू पार्क जानवरों की रक्षा करने वाला दार्जिलिंग का पार्क है। यह पार्क समुद्र तल से लगभग 7000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। साथ ही यह पार्क 67.56 एकड़ में फैला हुआ है। इस पार्क का नाम भारत के पहले पंतप्रधान पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी पद्मजा नायडू के नाम पर रखा गया है। यह पार्क अपने लाल पांडा और तेंदुए के लिए प्रसिद्ध है। इस पार्क को चिड़ियाघर भी कहा जाता है। जो भारत का सबसे ऊंचाई वाला और बड़ा चिड़ियाघर घर है।
यहाँ पर आपको स्नो लेपर्ड, हिमालयन भालू, हिम तेंदुए, लाल पांडा, हिमालयन सैलामैंडर, तिब्बती भेड़िये, साइबेरियन टाइगर जैसे अन्य जानवरों को देखने का मौका मिलता है। साथ ही आप इस पार्क में आप विदेशी जानवरों को भी देख सकते है। इस पार्क में आपको सुकून और शांति का एहसाह मिलता है। यह पार्क सुबह 8:30 से शाम 4 बजे तक खुला रहता है। पार्क देखने के लिए आपको 60 रूपये प्रवेश शुल्क देना होता है। पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क देखने का सबसे अच्छा समय मार्च से सितंबर के बिच का है।
8. Rangeet Valley Passenger Cable Car
आप मानोगे नहीं लेकिन दार्जिलिंग में तक़रीबन 5 किलोमीटर लंबा रोपवे है। इस रोपवे को “रेन्जिट वैली पैसेंजर केबल कार” इस नाम से भी जाना जाता है। यह रोपवे दार्जिलिंग के नॉर्थ पॉइंट से लेकर राममन नदी के किनारे सिंगला तक चलती है। इसलिए यह लोगों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला पर्यटन स्थल है। साथी इसका सफर सिंगमाड़ी से शुरू होकर 7,000 फीट की ऊँचाई से नीचे वंशा तक जाता है। इस यात्रा की दुरी कुल 8 किलोमीटर की होती है।
इस यात्रा के दौरान आप रेंजीत नदी, चाय के बाग़, और घने जंगलो का खूबसूरत दृश्य देख सकते हो। या रोपवे 16 ट्रॉलियाँ से बना हुआ है। जिसके एक ट्रॉली में 6 लोग बैठ सकते है। इस यात्रा को पूरा करने के लिए आपको 45 से 50 मिनट का समय लग सकता है। यह रोपवे शनिवार, रविवार, सोमवार और मंगलवार को सुबह 9:30 से शाम 4:30 बजे तक खुला होता है। रोपवे में बैठने के लिए आपको एक आदमी का 200 रुपये और बच्चो का 100 रुपये प्रवेश शुल्क लगता है।
9. Japanese Peace Pagoda
जापानी पीस पैगोडा दार्जिलिंग का एक शांत पर्यटन स्थल है। इस स्थल से दार्जिलिंग के आसपास के खूबसूरत पहाड़ो का नजारा देखने को मिलता है। जापानी पीस पैगोडा का निर्माण 1972 में जापानी बौद्ध भिक्षु निचिदात्सु फुजी ने किया था। इस पैगोडा का निर्माण बौद्ध धर्म के निप्पोनज़ान म्योहोजी के अंदर किया गया था।
यह पैगोडा शांति का प्रतिक माना जाता है, इसलिए इसे सफ़ेद रंग दिया गया है। इसकी ऊंचाई लगभग 28.5 मीटर, और इसकी चौड़ाई 23 मीटर है। पैगोडा के अंदर भगवान बुद्ध की एक मूर्ति की स्थापना की गई है। यहाँ से दार्जिलिंग शहर और कंचनजंगा पर्वत श्रृंखला का सुन्दर दृश्य दीखता है। दार्जिलिंग से जापानी पीस पैगोडा की दुरी 10 किलोमीटर की है, आपको यहाँ जाने के लिए बस और टैक्सी का उपयोग करना होता है।
10. Himalayan Mountaineering Institute
दार्जिलिंग का himalayan mountaineering institute एक हरियाली से भरा और पर्वतीय पर्यटन स्थल है। इस इंस्टिट्यूट को 1954 में बनाया गया था। यह इंस्टिट्यूट हिमालय की ऊंची चोटियों पर चढ़ाई कैसे करते है इसके बारे में प्रशिक्षण देते है। इस में हजारों पर्यटक हिस्सा लेते है।
जब माउन्ट एवरेस्ट पर शेरपा तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी ने 1953 में सफलता से चढ़ाई की थी, उनकी मदत से उसी साल भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई थी। फिर तेनजिंग नोर्गे को इस इंस्टिट्यूट का पहला डायरेक्टर भी बनाया गया था। यहाँ पर आपको माऊंट एवरेस्ट और बड़े बड़े पहाड़ो पर कैसे चढ़ा जाता है इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है। इस इंस्टिट्यूट के अंदर तेनजिंग नोर्गे का एक स्टैचू भी है।
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