मथुरा भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि है। यह उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्राचीन और धार्मिक स्थल है। मथुरा शहर यमुना नदी के किनारे स्थित है। मथुरा का उल्लेख रामायण, महाभारत और श्रीमद्भागवत जैसे प्राचीन कथाओं में देखने को मिलता है। इस धार्मिक स्थल का सबसे बड़ा धार्मिक महत्व भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। माना जाता है जी, भगवान श्री कृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था। इस लिए इस जगह को श्री कृष्ण की जन्मभूमि कहा जाता है।
मथुरा के धार्मिक स्थलों में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, विष्राम घाट, गोवर्धन पर्वत, राधा कुंड और श्याम कुंड और कुसुम सरोवर जैसे स्थल प्रमुख है। इस लेख में हम आपको मथुरा में घूमने के लिए सबसे अच्छी और धार्मिक स्थल कोण से इसके बारे में जानकारी देने वाले है, इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।
1. Shri Krishna Mandir
श्रीकृष्ण मंदिर मथुरा का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण के भक्त बड़ी दूर से यहाँ आते है। इस जगह पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। जब माता देवती को कंस ने कारागृह में डाला था, तब इस कारागृह में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस मंदिर का सबसे प्रसिद्ध स्थल यहाँ एक गुफ़ा है, जो कारागार का एक सबूत माना जाता है। लेकिन अभी का जो मंदिर है, उसे 20 वी शताब्दी में बनाया गया था।
मंदिर के आसपास बाकि देवी देवताओं की मुर्तिया स्थापित है। जन्माष्टमी के दिन में यहाँ बहुत बड़ा धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। भजन, नृत्य और प्रसाद का बड़ी धूम धाम से आयोजन होता है। इस जन्माष्टमी के दिनों में मंदिर को 1 हफ्ते पहले लाइटिंग और दिए से सजाया जाता है। रात में ठीक 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म की झांकी लगाई जाती है। इस उत्सव का लाभ लेने के लिए हजारों श्रद्धालु देश-विदेश से भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। मथुरा, उत्तर प्रदेश में स्थित है। मथुरा रेलवे स्टेशन से यह मंदिर की दुरी लगभग 3 किलोमीटर की है।
2. Dwarkadhish Mandir
द्वारकाधीश मंदिर मथुरा के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण ग्वालियर के एक महान धार्मिक नेता सेठ गोकुल दास पारिख ने 1814 में किया था। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के स्वरुप द्वारकाधीश की पूजा की जाती है। द्वारकाधीश मंदिर मथुरा के विश्राम घाट के पास स्थित है। इस मंदिर में में कृष्ण जी को द्वारका के राजा इस रूप में पूजा जाता है।
मंदिर के अंदर के स्तंभ पर सुन्दर नक्षीकाम किया गया है। मंदिर में एक बड़ा प्रवेश द्वार है, जिसे फूल और बारीक़ नक्षीकाम किया है। इस मंदिर में भगवान द्वारकाधीश की सुबह और शाम को धूम धाम से आरती की जाती है, इस आरती का लाभ लेने के लिए आसपास के भक्त यहाँ शामिल होते है। मंदिर में जन्माष्टमी, राधाष्टमी, दीपावली और होली जैसे त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। खास करके जन्माष्टमी के मौके पर यहां भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव में भक्त बड़ी दूर दूर मथुरा शहर में आते है।
जन्माष्टमी के दिन पर मंदिर से भगवान की बड़े रथ यात्रा भी निकाली जाती है, जो मथुरा की पवित्र गलियों में जाती है। इसके अलावा होली के समय मंदिर में फूलों और रंगों की होली खेली जाती है। द्वारकाधीश मंदिर में श्रावण महीने के दौरान झूला महोत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसमें भगवान को एक सुन्दर झूले पर विराजमान किया जाता है।
3. Kusum Sarovar
मथुरा के गोवर्धन पर्वत के पास स्थित कुसुम सरोवर एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। यह सरोवर भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम कहानी के लिए प्रसिद्ध है। इस सरोवर के चारों तरफ फूल ही फूल है, इसलिए इस सरोवर का नाम “कुसुम सरोवर रखा गया है। यह सरोवर 450 फीट लंबा और 60 फीट गहरा है। ये वही जगह है, जहा राधा फूल तोड़ने आती थी और श्री कृष्ण उन्हें छेड़ा करते थे। साथ ही यहाँ पर राधा और कृष्ण अपनी लीलाओं में मग्न रहते थे।
सरोवर के पास में छतरिया और प्राचीन मंदिर है, जिसे 18वीं शताब्दी के राजस्थान के महाराज सूरजमल ने बनाया था। इन छतरियों के निचे महाराज सूरजमल और उनके परिवार के सदस्यों की स्मृति बनाई गयी है। स्थानीय लोगो के द्वारा कहा जाता है की, इस सरोवर के पानी में स्नान करने से शरीर और मन शांत और शुद्ध हो जाता है। कुसुम सरोवर मथुरा से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर गोवर्धन पर्वत के पास स्थित है। यहाँ आप मथुरा से बस या प्राइवेट गाड़ी से जा सकते हो।
4. Vishram Ghat
विश्राम घाट मथुरा के सबसे पवित्र घाटों में से एक है। यह घाट मथुरा के 25 घाटों में सबसे प्रमुख है और यहां आकर स्नान करना बहुत पवित्र माना जाता है। कहा जाता है की, जब श्रीकृष्ण ने कंस मामा का वध करके आये थे, तब उन्होंने इसी घाट पर विश्राम किया था। इस लिए इस घाट का नाम विश्राम घाट पड़ा है। यह घाट पवित्र यमुना नदी के किनारे स्थित है। हिंदू धर्म में यमुना नदी को बहुत पवित्र माना जाता है। इस नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। उस स्थल को “मुक्ति मण्डप” कहा जाता है। इस के अलावा इसी घाट पर महर्षि वेदव्यास ने भागवत पुराण की रचना की थी।
विश्राम घाट पर हर रोज सुबह और शाम को यमुना आरती की जाती है। इस के लिए हजारों भक्त शामिल होते है। इस आरती में सभी भक्त अपने हाथ में दिए लेकर, नदी की आरती करते है। आरती होने के बाद उन दीये को यमुना नदी बहा दिया जाता है। जब सैकड़ों दीये यमुना नदी पर तैरते हैं, तो वह नजारा देखने में बहुत सुन्दर लगता है। इस नदी के किनारे दीपदान का बहुत धार्मिक महत्व है. जब कार्तिक मास में नदी के किनारे भक्त दिए जलाकर नदी में छोड़ते है। इस घाट पर भगवान श्री कृष्ण के पैरो के निशान है, जहां भक्त बड़ी संख्या से पूजा करने के लिए आते है।
5. Govardhan Parvat
गोवर्धन पर्वत मथुरा का एक प्रसिद्ध और धार्मिक पर्वत है। इस पर्वत को “गिरिराज” भी कहा जाता है। गोवर्धन पर्वत मथुरा से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पर्वत भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कई महत्वपूर्ण लीलाओं के लिए पुरे भारत देश में प्रसिद्ध है। यह पर्वत लगभग 8 किलोमीटर लंबा है। प्राचीन कथाओं में कहा जाता है की, जब इंद्र देव गोकुलवासियों पर क्रोधित होकर यहाँ मूसलाधार बारिश की थी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी ऊँगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। और इस पर्वत के निचे गोकुलवासियों को लेकर उनको बारिश से बचाया था।
इस को गोवर्धन लीला नाम से जाना जाता है। दीवाली के अगले दिन इस पर्वत की विशेष रूप से पूजा की जाती है। गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा बहुत धार्मिक मानी जाती है, जो लगभग 21 किलोमीटर की होती है। लेकिन कुछ भक्त सिर्फ 8 किलोमीटर की छोटी परिक्रमा भी करते है। जिसे “अन्नकूट परिक्रमा” कहा जाता हैं। परिक्रमा करते समय दानी घाट, राधा कुंड, पंचरी कुंड और मुखारविंद मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों का दर्शन होता है। गोवर्धन पर्वत के पास में मानसी कुंड, राधा कुंड और श्याम कुंड, गोविंद कुंड और कुसुम सरोवर जैसे पवित्र कुंड है।
6. Prem Mandir
प्रेम मंदिर उत्तर प्रदेश के वृंदावन में बसा एक बहुत बड़ा और सुन्दर मंदिर है। प्रेम मंदिर मथुरा से लगभग 10 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम के लिए समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण जगद्गुरु श्री कृपालु महाराज द्वारा करवाया गया था। प्रेम मंदिर का उद्घाटन 17 फरवरी 2012 को किया गया था। इस मंदिर को बनाने के लिए इटालियन संगमरमर का उपयोग किया गया है, मंदिर के बाहर का हिस्सा बनाने के लिए सफेद संगमरमर का उपयोग हुआ है। मंदिर के चारों ओर हरियाली से भरे बाग़ और फव्वारे है, जो देखने में बहुत सुन्दर लगते है।
मंदिर दीवारों पर भगवान कृष्ण की बचपन की और लीलाओं की शैलचित्र बनाये गए है। जिसमे सबसे लोकप्रिय गोवर्धन पर्वत को उठाना, रास लीला, माखन चोर, गोपियों के साथ खेलना, कंस मामा का वध और राधा कृष्ण के प्रेम के किस्से है। मंदिर के अंदर राधा कृष्ण की सफ़ेद संगमरमर से बनाई सुन्दर मुर्तिया है। मंदिर को रात के समय रंग-बिरंगी लाइटिंग और दियो से सजाया जाता है। जिसे देखने भक्त बड़ी दूर से यहाँ आते है। मंदिर में जन्माष्टमी, राधाष्टमी, और होली जैसे त्योहार बहुत धूमधाम से मनाए जाते हैं। मंदिर को चारों और से सुन्दर सजाया जाता है और धार्मिक पूजा पाठ का आयोजन किया जाता है।
7. Radha Kund
मथुरा के गोवर्धन पर्वत के पास स्थित राधा कुंड एक प्रवित्र स्थल है। राधा कुंड मथुरा से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर है। यह कुंड भी राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी से जुड़ा हुआ है। राधा कुंड के पास में ही भगवान श्रीकृष्ण का “श्याम कुंड” भी है। प्राचीन कथाओं में माना जाता है की, इन दोनों कुंड में स्नान करने से पाप मिट जाते है। खास करके कार्तिक मास में अष्टमी के दिन स्नान करने का बहुत ज्यादा अच्छा माना जाता है। जिसे “आह्लादिनी शक्ति का दिन” कहा जाता है। राधा कुंड गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते वक्त रस्ते में ही है।
8. Gopeshwar Mahadev Temple
गोपेश्वर महादेव मंदिर वृंदावन का प्रमुख महादेव मंदिर है। इस मंदिर को गोपेश्वर महादेव मंदिर इसलिए कहा जाता है क्यूंकि, प्राचीन कथाओं के अनुसार, जब वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण अपनी रासलीला कर रहे थे तब भगवान शिव को उनकी रासलीला देखने में बहुत मजा आता था। लेकिन खास बात यह थी की, उस रासलीला में सिर्फ गोपियाँ ही भाग ले सकती थी।
फिर शिव जी ने एक गोपी क रूप धारण कर लिया और रासलीला देखने लगे। लेकिन राधा और बाकि गोपियों ने शिव जी को देख लिया फिर तभी से इस मंदिर को गोपेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है। मंदिर में स्थापित किये गए शिवलिंग को भी हर रोज चूड़ियाँ, माला, और गोपियों के श्रृंगार से सजाया जाता है। इसके अलावा मंदिर में श्रावण और शिवरात्रि जैसे शुभ अवसर पर पूजा और कुछ कार्य्रक्रमो का आयोजन किया जाता है।
9. ISKCON Temple
वृंदावन के इस्कॉन मंदिर को श्रीकृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की स्थापना 1975 में स्वामी श्रील प्रभुपाद ने की थी। स्वामी श्रील प्रभुपाद वह इंसान है, जिन्होंने इस्कॉन आंदोलन की स्थापना की थी। इस मंदिर में भगवान कृष्ण और उनके भाई बलराम की बहुत सुन्दर सुन्दर मूर्तियों की स्थापना की गई है।
इन दोनों की सिवाय मंदिर में इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद की भी मूर्ति देखने को मिलती है। इस मंदिर की खासियत मतलब, यहाँ देश विदेश से पर्यटक आते है। इसी कारन मंदिर को हर साल लाखों रुपये का चंदा मिलता है। इसके अलावा मंदिर में सभी भक्तों को मुफ्त में प्रसाद और खाना दिया जाता है। मंदिर में वैदिक शिक्षण के लिए अलग से जगह का इंतजाम किया गया है, जहा वैदिक ग्रंथ, भगवद्गीता के उपदेश, महाभारत और बाकि बड़े ग्रंथों के बारे में शिक्षा दी जाती है।
10. Nandgaon
वृंदावन का नंदगांव वही स्थान है जहा नंद बाबा, माता यशोदा और श्री कृष्णा रहा करते थे। नंदगांव में श्री कृष्ण का बचपन गया है, उसमे माखन चुराना हो, गोपियों को तंग करना हो, या फिर माता यशोदा को अपने मुँह में पुरे ब्रम्हांड का दर्शन करना हो, ये सब लीलाये कृष्ण ने नंदगांव में ही की है। इस गांव में अभी नंद बाब का एक मंदिर बनाया गया है, जिसके अंदर उनकी मूर्ति स्थापित की गई है। यह मंदिर गांव की एक पहाड़ पर स्थित है और यहाँ से नंदगाव और बाकि परिसर का बहुत खूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है।
इसके साथ ही मंदिर के अंदर भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और माता यशोदा की भी मूर्तियां हैं। गांव में एक प्रवित्र कुंड भी है, जिसे “यशोदा कुंड” नाम से जाना जाता है। इसके अलावा यहाँ नंद भवन, पान सरोवर, गोवर्धन पर्वत जैसे प्राचीन स्थल भी है। नंदगांव की लट्ठमार होली पुरे भारत देश में प्रसिद्ध है। क्यूंकि इस होली में यहाँ की महिलाएं नंदगांव के पुरुषों को लाठियों से मारती हैं, और पुरुष अपने आपको ढाल से बचाते हैं। यह नजारा देखने के लिए होली के शुभ अवसर पर पर्यटक बहुत दूर दूर से यहाँ आते है।
Best Places To Visit in Indore With Friends Read Now