जयपुर भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी है और इसे “गुलाबी शहर” के नाम से भी जाना जाता है। जयपुर को 1727 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने स्थापित किया था। इस लिए राजा के नाम से इस शहर का नाम जयपुर रखा है। जयपुर एक ऐसा शहर है, जहा खाना, पीना, घूमना, शॉपिंग करना और रहना ये सबकुछ उपलब्ध है। यहाँ की प्रमुख पर्यटन स्थलों की बात करे तो, आमेर किला, सिटी पैलेस, हवा महल, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय और बिड़ला मंदिर जैसे स्थलों का नाम लिया जाता है।
यहाँ का प्रसिद्ध दाल बाटी चूरमा और लाल मांस और कबाब खाने को पर्यटक देश विदेश से यहाँ आते है। शॉपिंग करने प्रसिद्ध स्थलों में विपिनपुरी बाजार और जौहरी बाजार है। इस लेख में हम आपको जयपुर में घूमने लायक जगहों के बारे में जानकारी देने वाले है।
1. Amer Fort
जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर की दुरी पर स्थित आमेर किला जयपुर का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह किला जयपुर के अरावली की पहाड़ियों में है। आमेर किला का निर्माण 1592 में महाराजा मान सिंह प्रथम द्वारा किया गया था। यह किला राजपुताना वास्तुकला से भरा हुआ है। इस किले दीवारें और छत कांच की नक्षीकाम से बनी हुई है। साथ इसमें छोटे छोटे दीए भी है, जो देखने में बहुत अच्छे लगते है।
इस महल में एक बड़ासा हॉल बनाया गया है, जहां राजा अपनी प्रजा के साथ सभा करते थे। जिसे दीवान-ए-आम भी कहा जाता है, और जहां राजा अपने खास मेहमानों और लोगों से बातचीत करते थे, उस जगह को दीवान-ए-खास कहा जाता है। इस किले में एक सुरंग है, जो आमेर किला और जयगढ़ किले से जुडी हुई है। जिसका उपयोग युद्ध के दौरान राजा ओ के परिवार की सुरक्षा के लिए किया जाता था।
2. City Palace
सिटी पैलेस जयपुर शहर में बसा एक बहुत बड़ा पैलेस है। इस पैलेस को 1727 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था। यह पैलेस बड़े उद्यान, महल और आँगन से सजा हुआ है। इस किले में राजपुताना और मुग़ल प्राचीन कला देखने को मिलती है। इस पैलेस खास बात यह है की, ये पैलेस जयपुर का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस पैलेस में आज भी जयपुर का शाही परिवार रहता है। इस पैलेस के अंदर एक चंद्र महल है, जिसके आधे हिस्से में एक संग्राहलय का निर्माण किया है। इस संग्रहालय में शाही परिवार के कपडे, पेंटिंग्स और ऐतिहासिक वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है।
अगर आपको इसके बारे में और जानकरी चाहिए तो, आपको यहाँ के मुबारक महल में जाना चाहिए। जिसे महाराजा माधो सिंह द्वितीय ने बनाया था। मुबारक महल में शाही परिवार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और महंगे कपड़ो का प्रदर्शन किया गया है। पैलेस में दीवान-ए-आम नाम का एक बड़ा हॉल है, जहां राजा अपनी प्रजा से मिलते थे। इस पैलेस के चार मुख्य और बड़े दरवाजे है, जिनका नाम, गुलाबी दरवाजा (वसंत), हरा दरवाजा (गर्मी ), नीला दरवाजा (ठंडा), और सफेद दरवाजा (सर्दी) है। साथ ही पैलेस में एक राजकीय संग्रहालय भी है, जहां शाही परिवार के हथियार और दस्तावेज़ का प्रदर्शन किया गया है।
3. Hawa Mahal
जयपुर के हवा महल को “विंड्स का महल” इस नाम से भी जाना जाता है। हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई प्रताब सिंह ने 1799 में किया था। इस महल को लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाया गया है। यह महल पांच मंजिल ऊँचा है। इस महल खास बात यह है की, इसमें लगभग 953 जालीदार खिड़किया है। जिन्हे झरोखा भी कहा जाता है। पुराणी कथाओं के अनुसार इस झरोखे की कहा ऐसी है की, उस समय रानियों और महिलाओं के मुँह पर पर्दा रखने की प्रथा होने के कारन, महल की रानियाँ और बाकि सामान्य महिलाओं को देखे बिना उत्सव देखना और रोजका काम किया जाता था।
इस खिड़कियों से जयपुर की गुलाबी हवा अंदर बाहर होती है। जिसके कारन महल में गर्मी के मौसम में ठंडक का एहसाह मिलता है। महाराजा सवाई प्रताप सिंह भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, इसलिए हवा महल का आकार भगवान कृष्ण के मुकुट जैसा है। इस महल में एक संग्रहालय भी है, जहा प्राचीन वस्तुओं का प्रदर्शन किया है। हवा महल के सबसे ऊपर की मंजिल से जयपुर शहर का बेहद सुन्दर नजारा दीखता है।
4. Jantar Mantar
जंतर मंतर जयपुर का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। जंतर मंतर का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1724 से 1734 के बिच किया था। जंतर मंतर यह नाम दो संस्कृत शब्दों से लिया है। यंत्र” (उपकरण) और “मंत्र” (सूत्र या गणना) जिसका मतलब खगोलीय गणना है। इस मंत्रो में मुख्या यंत्र मतलब जयप्रकाश यंत्र, सम्राट यंत्र,राम यंत्र, मिश्र यंत्र और ध्रुव यंत्र का नाम आता है। सम्राट यंत्र सबसे बड़ा है, जिसे “प्राचीन सूर्य घडी” भी कहा जाता है।
इस यंत्र की ऊंचाई लगभग 27 मीटर है। जयप्रकाश यंत्र से तारों के बींच का अंतर नापा जाता है। यह यंत्र दो आधे गोलों से मिलकर बना हुआ है। राम यंत्र का उपयोग सूरज और चंद्र की ऊंचाई मापने के लिए किया जाता है। इसमें एक गोलाकार प्लेट लगी हुई है। मिश्र यंत्र का उपयोग ग्रहों की चाल और मौसम से जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। ध्रुव यंत्र की मदत से ध्रुव तारे की स्थिति को मापा जाता है।
5. Nahargarh Fort
नाहरगढ़ किला जयपुर की अरावली पहाड़ियों बसा एक खूबसूरत और प्राचीन किला है। नाहरगढ़ किला का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1734 में किया था। “नाहरगढ़” का अर्थ “बाघों का किला” ऐसा होता है। जयपुर शहर की सुरक्षा करने के लिए इस किले का निर्माण किया गया था। प्राचीन कथाओं के अनुसार, “इस किले के नाम नाहर सिंह भोंमिया नाम के एक राजा के नाम से दिया है, उस राजा के आत्मा की शांति के बाद ही इस किले का निर्माण पूरा हो चूका है।
किले के ऊपर के पुरे जयपुर शहर का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। खासकर सूर्यास्त के समय यह दृश्य बहुत खूबसूरत होता है। किले अंदर एक माधवेंद्र भवन है, जो शाही परिवार के लीये बनाया गया था, और इसका निर्माण भी महाराजा सवाई माधो सिंह ने किया है। इस भवन में राजा के लिए अलग कमरा, मेहमानों के लिए अलग कमरा तैयार किये है। खास करके रानियों के लिए 9 अलग अलग कमरे है।
6. Jal Mahal
जल महल जयपुर के मानसागर झील के बीचों बिच बसा एक अनोखा पर्यटन स्थल है। जल महल का निर्माण 18वी सदी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने किया था। इस महल का उपयोग शाही परिवार के द्वारा गर्मियों के मौसम में ठंड का एहसास लेने के लिए किया जाता था। जल महल तक पहुंचने के लिए झील के किनारे से नाव की सुविधा की गई है। यह महल कुल पांच मंजिल ऊँचा है। इस की खास बात यह है की, जब झील में पानी भर जाता है तो, इस महल के चार मंजिल पानी में दुब जाते है और सिर्फ ऊपर वाली मंजिल दिखाई देती है। यह महल राजपुताना और मुग़ल चित्रशैली से बनाया हुआ है।
मानसागर झील के आस पास का नजारा पूरी तरह से हरियाली से भरा हुआ है। इस के महल के ऊपर बहुत पक्षी आकर बैठते है। जल महल का सबसे खूबसूरत दृश्य रत के समय दीखता है। क्यूंकि रात के समय में महल को दिए और लाइटिंग से सजाया हुआ होता है और उसका प्रतिबिंब झील के पानी में दीखता है, जो देखने में बेहद सुन्दर लगता है। लेकिन आज के दिन कुछ कारणों की वजह से इस महल के अंदर जाना मना है, पर्यटक सिर्फ झील के किनारे से इस महल को देख सकते है।
7. Albert Hall Museum
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय जयपुर का एक सबसे पुराना संग्रहालय है। यह संग्रहालय जयपुर के राम निवास उद्यान के अंदर स्थित है। इस का निर्माण 1876 में महाराजा राम सिंह के ने प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में किंग एडवर्ड VII) की यात्रा के सम्मान में शुरू किया गया था। फिर 1887 में महाराजा सवाई माधो सिंह द्वितीय के शासनकाल में सार्वजानिक तौर पर संग्रहालय के रूप में खोला गया। इस संग्रहालय में राजस्थानी मिनिएचर पेंटिंग, मुगल चित्रकला का संग्रह देखने को मिलता है।
साथ ही यहाँ प्राचीन तलवारें, ढालें, बाण, और युद्ध में लगने वाली बाकि हत्यारों का प्रदर्शन देखने को मिलता है। यहाँ की सबसे प्रसिद्ध स्थल मतलब मिस्र की ममी! संग्रहालय में एक मिस्र की ममी भी रखी गई है, जो लगभग 2300 साल पुराणी है। इस ममी को काहिरा से लाया गया है। संग्रहालय में प्राचीन धातु की मूर्तियां और लकड़ी से बनाई हुई मूर्तियों के साथ साथ भारतीय संगीत में लगनी वाली वाद्यों का भी प्रदर्शन किया गया है। जिसमे ढोल, वीणा, सितार, और बाकि वाद्य शामिल है।
8. Birla Mandir
बिरला मंदिर जयपुर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस मंदिर को बिरला परिवार ने 1988 में निर्माण किया था। बिरला मंदिर सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ है। इस मंदिर में शांति और धार्मिकता का अनुभव मिलता है। यह मंदिर दिन में सूरज की किरणों की वजह से चमकता है और रात से समय वहां के दिए और लाइटिंग की वजह से चमकता है।
इस मंदिर के दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं की मुर्तिया बनाई है, इसके साथ ही बुद्ध, महावीर, सुकरात, कन्फ्यूशियस, और जीसस क्राइस्ट जैसे बड़े लोगों की मुर्तिया भी है। मंदिर के अंदर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की बड़ी मूर्ति है। इस मंदिर का आँगन बहुत बड़ा है, जो फुले और हरियाली से भरा हुआ है। मंदिर के परिसर में एक छोटा संग्रहालय भी है, जहा बिरला परिवार की प्राचीन वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है।
9. Kanak Vrindavan
जयपुर के आमेर किले के पास स्थित कनक वृंदावन एक बहुत सुंदर पर्यटन स्थलों में से एक है। इसका निर्माण 18वीं सदी में महाराजा सवाई जय सिंह ने किया था। यह एक पार्क और मंदिर है जो भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसे वृंदावन की तरह ही सजाया गया है, इसलिए इसे “कनक वृंदावन” कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण और राधा की बहुत सुन्दर मूर्ति की स्थापना की गई है।
इस पार्क में फव्वारे, फूलो के बाग़, संगमरमर की बनाई हुई छतरियां देखने जैसी है। पार्क में एक झील भी है जिसे कनक झील कहा जाता है। यह जयपुर की प्रसिद्ध मानसागर झील से जुडी हुई है और इसमें कमल के फूल और बत्तखें देखने को मिलती हैं। कनक वृंदावन पार्क सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
10. Mota Dungri Ganesh Temple
जयपुर में स्थित मोटा डूंगरी गणेश मंदिर एक बहुत प्रसिद्ध गणेश (गणपति) मंदिर है। यह मंदिर मोटा डूंगरी पहाड़ी पर स्थित है इसलिए इसे मोटा डूंगरी नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में राजा माधोसिंह ने किया था। मंदिर का निर्माण स्कॉटिश किले की तरह किया गया है। लाल और सफ़ेद संगमरमर पत्थर से बनाये गए इस मंदिर में गणेश जी की एक सुन्दर मूर्ति की स्थापना की है। इस मूर्ति को जयपुर के सबसे पुराने और पवित्र गणेश मूर्तियों में से एक माना जाता है। मंदिर हर बुधवार को बहुत बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
इस दौरान पूरे मंदिर को सजाया जाता है और हजारों भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। इसके अलावा गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर भी मंदिर लाइटिंग से सजाया जाता है। मोटा डूंगरी गणेश मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक, और फिर शाम 4:30 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
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