रामेश्वरम तमिलनाडु का एक धार्मिक और ऐतिहासिक शहर है। अगर आपको रामायण से जुडी कोई भी जानकारी चाहिए तो, आपको रामेश्वरम जरूर जाना चाहिए। रामेश्वरम शहर रामनाथस्वामी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में आपको बड़े बड़े नक्षीकाम किये हुए खंबे देखने को मिलते है। साथ ही रामेश्वरम में धनुषकोडी, पंबन ब्रिज, अग्नि तीर्थम और कोदंड रामस्वामी मंदिर जैसे सुन्दर है। अगर आप भी रामेश्वरम में घूमने का प्लान बना रहे है, तो बहुत अच्छी बात है। इस लेख में आपको रामेश्वरम में घूमने की सबसे अच्छी जगह के बारे में पता चलेगा। इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।
1. Ramanathaswamy Temple
रामनाथस्वामी मंदिर रामेश्वरम का एक हिंदू धार्मिक मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव जी की आराधना की जाती है। इस मंदिर को बारह जोतिर्लोंगो में से एक मंदिर माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना 12वी शताब्दी में सेतुबंधु ने की थी। रामनाथस्वामी मंदिर चार धाम यात्रा के अंतर्गत आता है। इस मंदिर में 22 जल के कुंड है, जो इस मंदिर का प्रमुख आकर्षण है। स्थानीय लोगों का मानना है की, इस कुंड में स्नान करने से आदमी के सारे पाप मिट जाते है।
इस मंदिर में बहुत बड़ा प्रवेश द्वार है, जिसे भारत का सबसे बड़ा प्रवेश द्वार माना जाता है। मंदिर के गेट में प्राचीन नक्षीकाम, दीवारें और खंबे है, जजों दिखने में बेहद सुंदर लगते है। इस मंदिर के पुराणी कथा के नुसार “भगवान राम ने रावण की लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी। इस लिए भगवान राम और शिवजी के नाम पर इसका नाम “रामलिंगम” रखा गया है।
2. Dhanushkodi
रामेश्वरम के दक्षिण क्षेत्र में बसा धनुषकोडी रामेश्वरम का एक धार्मिक स्थल है। धनुषकोडी का नाम “धनुष” और “कोड़ी” इस दो संस्कृत शब्दों से लिया गया है। धनुष का मतलब धनुष और कोड़ी का मतलब अंतिम स्थान होता है। साथ ही यह नाम भगवान राम की धनुष की कथा इससे भी जुड़ा हुआ है। इस स्थल को “भूतों का शहर” भी कहा जाता है। इस स्थल के पास में ही समुद्र तट है, जहाँ हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी का संगम होता है।
यहाँ से नीला पानी और नीले आसमान का खूबसूरत दृश्य दीखता है। 1964 में धनुषकोडी में एक भयंकर चक्रवात आया था, उस समय इस चक्रवात ने इस स्थल को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। पुराणी कथाओं के अनुसार “लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान ने यहाँ के धनुष से रामसेतु तोड़ा था। इस जगह पर रामसेतु पुल का आखरी छोर है।
3. Pamban Bridge
भारत का पहला समुद्री ब्रिज मतलब पंबन ब्रिज। इस पुल को पंबन चैनल के ऊपर बनाया गया है। और इस पुल को 1914 में शुरू किया गया था। यह पुल 2.3 किलोमीटर लंबा है। इस पुल को इस तरह से बनाया गया है की, समुद्र में आने वाले तूफान और तेज हवाओं के कारन इसको किसी भी प्रकार की हानि न हो। इस पुल की खास बात यह है की, इस पुल में “ड्रॉब्रिज” सेक्शन बनाया गया है।
मतलब अगर समुद्र में कोई बड़ी जहाज आये तो, ब्रिज के उस पार जाने के लिए “ड्रॉब्रिज” सेक्शन को ऊपर उठाया जाता है और निचे से उस जहाज को जाने दिया जाता है। पंबन ब्रिज से जब ट्रेन चलती है, तब यात्रियों को चारों सिर्फ पानी ही पानी दिखता है। इस ब्रिज को बनाने वाले इंजीनियर्स की लोग आज भी बहुत तारीफ करते है।
4. kodandarama swamy temple
रामेश्वरम से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोदंड रामस्वामी मंदिर रामेश्वरम का एक प्राचीन और धार्मिक मंदिर है। इस मंदिर में भगवान राम की आराधना की जाती है। इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति धनुष के साथ स्थापित की है, इसलिए इस मंदिर को “कोदंड” नाम से जाना जाता है।
पुराणी कथाओं के अनुसार “जिस स्थान पर भगवान राम ने अपने छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा घोषित किया था, वहा इस मंदिर की स्थापना की गई है। यह मंदिर समुद्र के किनारे स्थित है। मंदिर में से समुद्र का बेहद सुंदर नजारा दीखता है। इस मंदिर में भगवान राम के साथ, भगवान लक्ष्मण, माता सीता और हनुमान जी की मूर्तियाँ भी है। इस मंदिर में राम नवमी और हनुमान जयंती के अवसर पर अलग अलग कार्यक्रम का आयोजित किये जाते है। मंदिर में शांति और धार्मिक वातावरण का अनुभव मिलता है।
5. Gandhamadana Parvat
गंधमादन पर्वत तमिलनाडु के रामेश्वरम का सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पर्वत तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप में स्थित है। इस पर्वत का महत्व इस बात के कारन प्रसिद्ध है क्यूंकि, स्थानीय लोगों द्वारा कहाँ जाता है की, ये वही पर्वत जहा भगवान राम ने लंका पर आक्रमण से पहले अपने वानर सेना के साथ शिवलिंग की पूजा की थी। संजीवनी बूटी की खोज में भगवान हनुमान इस पर्वत पर से लंका की और छलांग लगाई थी।
इस पर्वत पर “गंधमादन मंदिर” नाम का एक खूबसूरत छोटासा मंदिर है, जहां भगवान राम के पादुका की स्थापना की गई है। इस मंदिर में भगवान राम और हनुमान जी के भक्त बड़ी श्रद्धा से आते है। इस पर्वत पर से सूर्योदय और सूर्यास्त का बेहद खूबसूरत दृश्य दीखता है। इस पर्वत पर शांति और सुकून का अनुभव मिलता है।
6. Panchmukhi Hanuman Temple
पंचमुखी हनुमान मंदिर रामेश्वरम का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है। इस मंदिर में भगवान हनुमान जी की आराधना की जाती है। इस मंदिर में हनुमान जी की पांच मुख वाली मूर्ति है, इस लिए इसे पंचमुखी हनुमान मंदिर कहाँ जाता है। इस पांच मुख में हनुमान, गरुड़, वराह, नृसिंह, और हयग्रीव दिखाई देते है।
इन पांचो मुख का मुँह अलग अलग दिशाओं है, सबसे पास अलग अलग शक्तियाँ है। पुराणी कथाओं के अनुसार कहाँ जाता है की, भगवान हनुमान ने अपने पंचमुखी रूप का अवतार राक्षसों का विनाश करने और भगवान राम की सहायता के लिए लिया था। साथ ही इस मूर्ति को शक्ति, साहस, और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर में जो भी भक्त जाते है और श्रद्धा से हनुमानजी की पूजा करते है, तो उनको हनुमान जी का आशीर्वाद आवश्य मिलता है। इस मंदिर में हर रोज हनुमान चालीसा और हनुमान जी के भजनों का पाठ किया जाता है। खास करके मंगलवार और शनिवार को यहाँ भक्तों की बहुत ज्यादा भीड़ होती है।
7. Jharokaha
रामेश्वरम का पवित्र स्थल राम झरोकहा, जो भगवान का महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। क्यूंकि इस जगह पर से ही भगवान राम ने समुद्र के किनारे खड़े होकर लंका जाने का मार्ग देखने के लिए अपने कदम रखे थे। इसलिए इस स्थल का नाम “राम झरोकहा” पड़ा है। साथ ही कहाँ जाता है की, भगवान राम ने समुद्र से लंका जाने का मार्ग बनाने के लिए इसी जगह से देवी देवताओं से प्रार्थना की थी। भगवान राम ने लंका तक पहुंचने के लिए यही से राम सेतु पुल का निर्माण किया था। राम झरोकहा से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य भी बेहद खूबसूरत दीखता है।
8. Villoondi Theertham
रामेश्वरम का पवित्र स्थल “विलुंडी तीर्थम” भगवान राम के कथाओं से जुड़ा हुआ है। “विलूंडी” का अर्थ तमिल में “डूबा हुआ तीर” ऐसा होता है। प्राचीन कथाओं के अनुसार जब भगवान राम लंका जाने के दौरान अपनी सेना के साथ इस जगह से गुजर रहे थे, तब उनकी सेना को पानी की प्यास लगी थी, उस समय, भगवान राम ने अपने धनुष से समुद्र के बीच में एक तीर चलाया, जिससे इस स्थान पर एक मीठे पानी का कुआं बनकर आया।
इस कुएकी खास बात यह है की, यह कुआं समुद्र किनारे होने बाद भी, इस कुए में आज भी मीठा पानी आता है। भक्त इस पानी को भगवान राम का पवित्र जल के रूप में पीते है। यह स्थल समुद्र के किनारे होने के कारन यहां शांति और सुकून का अनुभव मिलता है।
9. Setu Karai
सेतु कराई रामेश्वरम के पास स्थित एक खूबसूरत और पवित्र समुद्र तट है। इस स्थल को इसे “रामसेतु” या “आदम का पुल” जैसे बड़े पुलों की तरह माना जाता है। रामसेतु और आदम पुल जो भारत और श्रीलंका के बीच का समुद्री मार्ग थे। इसलिए इसे “सेतु कराई” कहा जाता है।
प्राचीन कथाओं के अनुसार कहा जाता है की, सेतु कराई वह जगह है जहां भगवान श्रीराम ने रावण की लंका पहुँचने के लिए अपनी वानर सेना के साथ समुद्र के ऊपर सेतु बनाने की योजना बनाई थी और अपने भक्त हनुमान और नल-नील की मदद से रामसेतु का निर्माण शुरू किया था। सेतु के पास में ही रामनाथस्वामी मंदिर, धनुषकोडी, पंबन ब्रिज जैसे और भी सुन्दर पर्यटन स्थल है।
10. Gandh mountain
रामेश्वरम में स्थित गंधपर्वत भगवान राम के ज़माने का एक बहुत प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। क्यूंकि कहा जाता है की, इसी स्थान पर भगवान श्रीराम ने समुद्र को पार करने के लिए मार्ग को चुना था। इसका सबूत आज भी इस पर है मतलब इस पर्वत पर श्रीराम के पैरों के निशान हैं, जिन्हें रामपादम कहा जाता है। इन निशानों को देखने और उनकी पूजा करने के लिए भक्त बहुत दूर दूर से रामेश्वरम में आते है।
गंध पर्वत का वातावरण बहुत शांत और हरियाली से भरा हुआ है। यहाँ से पुरे रामेश्वरम शहर का बहुत खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। इसके अलावा रामनवमी और दिवाली के शुभ त्यौहारों में इस पर्वत पर पूजा पाठ का आयोजन किया जाता है। गंध पर्वत के पास में ही रामनाथस्वामी मंदिर, धनुषकोडी बीच, अग्नि तीर्थम, पंबन ब्रिज जैसे और भी अच्छे और धार्मिक स्थलों पर घूमने का मौका मिलता है।
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