10 Best Places to Visit in Varanasi in 3 Days: भारत देश के उत्तर प्रदेश में स्थित वाराणसी एक धार्मिक शहर है। वाराणसी को “बनारस” और “काशी” के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है की, वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन लेने से मोक्ष की प्राप्ति मिलती है। इसलिए इसे “मोक्ष की नगरी” भी कहा जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहाँ हर साल लाखों भक्त महादेव जी के दर्शन लेने के लिए यहाँ आते है। वाराणसी गंगा नदी के किनारे स्थित है।
प्राचीन कथाओं में कहा गया है की, गंगा नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। आज के समय में गंगा नदी पर 80 से ज्यादा घाट है। जिसमे सबसे बड़े दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, और मणिकर्णिका घाट है। यहाँ की शाम को होने वाली गंगा आरती में हजारों भक्त हर रोज शामिल होते है। वाराणसी के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में काशी विश्वनाथ मंदिर, रामनगर किला, सारनाथ, अस्सी घाट और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) है। इस लेख में हम आपको इस सभी स्थलों के बारे में जानकारी देने वाले है।
1. Kashi Vishwanath Temple
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी का एक प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर में भगवान महादेव की आराधना की जाती है। इस मंदिर में भगवान शिव को “विश्वनाथ” यानी की “विश्व के स्वामी” के रूप में माना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। प्राचीन कथाओं में कहा गया है की, जो भी भक्त इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते है, उनको मोक्ष की प्राप्ति आवश्य होती है। इसलिए इस मंदिर को मोक्ष प्राप्ति का द्वार भी कहा जाता है।
इस मंदिर को पहले के ज़माने में कई बार तोड़ा गया और फिर से बनाया गया था। लेकिन अभी का जो मंदिर है, उसे 1780 में अहिल्याबाई होल्कर ने बनाया था। फिर बाद में 19वी सदी में राजा रणजीत सिंह ने मंदिर के ऊपर के हिस्से को 1 टन सोने से सजाया था। इसलिए इस मंदिर को ‘गोल्डन टेम्पल’ भी कहा जाता है। मंदिर में महाशिवरात्री और सावन के महीने महापूजा का आयोजन किया जाता है। इस पूजा में हजारों शिव भक्त शामिल होते है।
2. Sankatmochan Hanuman Temple
वाराणसी का संकटमोचन हनुमान मंदिर का निर्माण गोस्वामी तुलसीदास ने 16वीं सदी में किया था। प्राचीन कथाओं के अनुसार अनुसार कहा जाता है की, संत गोस्वामी तुलसीदास हनुमानजी के बहुत बड़े भक्त थे, और उनकी बहुत भक्ति करते थे। एक दिन हनुमान जी ने उनको इसी जग़ह पे दर्शन दिए थे, और उसके बाद गोस्वामी तुलसीदास ने यहाँ पर हनुमानजी का मंदिर बनाया था। ये मंदिर वाराणसी के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
इस मंदिर में जो भी भक्त हनुमानजी की दिल से प्रार्थना करता है, तो हनुमानजी उनके संकट दूर करते है। इसलिए मंदिर का नाम संकटमोचन रखा गया है। संकटमोचन का अर्थ “संकट से बचाना” ऐसा होता है। इस मंदिर में सुबह और शाम हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पठन किया जाता है। मंगलवार और शनिवार के दिन यहाँ बहुत भीड़ रहती है। हनुमान जयंती के दिन इस मंदिर में बड़ी पूजा और महाप्रसाद का आयोजन किया जाता है। इस दिन हनुमान जी के भक्त बड़ी संख्या से यहाँ शामिल होते है।
3. Ramnagar Fort
वाराणसी के गंगा नदी के किनारे स्थित रामनगर किला एक ऐतिहासिक और बड़ा किला है। इस किले को वाराणसी के राजा राजा बलवंत सिंह ने 1750 में बनाया था। यह किला कशी नरेश का निवास स्थल भी हुआ करता था। किले के अंदर एक संग्रहालय भी है, जहां प्राचीन वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है। जिसमे राजाओं के चित्र, हथियार, पालकियाँ, घड़ियाँ, दस्तावेज और राजाओं के कपडे शामिल है।
संग्रहालय के अलावा यहाँ शिव जी का प्राचीन और छोटासा मंदिर बनाया गया है। इस किले में हर साल दशहरे के दिन राम लीला का आयोजन किया जाता है और यह राम लीला लगभग 1 महीने तक चलती है। इस राम लीला को देखने के लिए पर्यटक बड़ी दूर दूर से यहाँ आते है। यह राम लीला का कार्यक्रम किले के बड़े आँगन में किया जाता है।
4. Assi Ghat
वाराणसी के दक्षिणी क्षेत्र में और गंगा नदी के किनारे स्थित अस्सी घाट वाराणसी का एक प्रमुख घाट है। प्राचीन कथाओं में कहा जाता है की, शिव जी ने देवी दुर्गा के राक्षसों को मारने के बाद अपनी हथियार को इसी नदी और घाट पर फेंका था। इसलिए इस घाट को इतना धार्मिक और पवित्र माना जाता है। इस घाट पर महान कवि तुलसीदास का निधन हुआ था।
इस घाट पर सुबह और शाम को सार्वजिक योगासन का आयोजन किया जाता है। जिसे बहुत लोग हिस्सा लेते है, खास करके बूढ़ा आदमी। इसके अलावा अस्सी घाट पर शाम को गंगा आरती होती है, जिसमे सभी लोग हाथ में दिए लेकर गंगा आरती करते है। यहाँ से काशी विश्वनाथ मंदिर और हनुमान मंदिर पास में ही है। भक्त इस घाट पर स्नान करके, इन मंदिरों में दर्शन के लिए जाते है।
5. Sarnath
वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर की दुरी पर स्थित सारनाथ एक प्रसिद्ध बौद्ध धार्मिक स्थल है। इस पवित्र पर भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। बुद्ध धर्म के चार प्रमुख धार्मिक स्थलों में से सारनाथ एक है। भगवान बुद्ध ने यहाँ पहले पांच शिष्यों को “धर्मचक्र प्रवर्तन” का उपदेश दिया था। सारनाथ बुद्ध धर्म के लोगों के लिए एक सबसे पवित्र स्थान है। भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ के धमेक स्तूप के निचे किया था। इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोका ने किया था।
इसके अलावा, यहाँ पर अशोक स्तंभ भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। इस स्तंभ का निर्माण भी सम्राट अशोका ने किया था। भगवान बुद्ध अपने पहले पांच शिष्यों से जिस जग़ह पर मिले थे, उस जग़ह का नाम चौखंडी स्तूप है। यहाँ के मूलगंध कुटी विहार में भगवान बुद्ध की स्वर्ण मूर्ति की स्थापना की गई है। इसे महाबोधि सोसाइटी द्वारा बनवाया गया था। सारनाथ संग्रहालय में भगवान बुद्ध की बहुत प्राचीन मुर्तिया है।
6. Man Mandir Ghat
मान मंदिर घाट वाराणसी के गंगा नदी के किनारे स्थित एक प्राचीन घाट है। इस घाट का निर्माण जयपुर के राजा मान सिंह ने 1770 में किया था। इस घाट से गंगा नदी दृश्य बहुत सुन्दर दीखता है। इस मंदिर में 1737 में राजा जयसिंह ने जंतर मंतर की स्थापना की थी। जंतर मंतर के अंदर के यंत्र का उपयोग चाँद, सूर्य और ग्रहों की स्थिति मापी जाती है।
7. Bharat Mata Mandir
वाराणसी का भारत माता मंदिर किसी देवी देवताओं की पूजा नहीं की जाती, बल्कि भारत की माता को श्रंद्धाजलि दी जाती है। भारत माता मंदिर का निर्माण 1936 में किया गया था। यह मंदिर वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण काशी विद्यापीठ के संस्थापक बाबू शिव प्रसाद गुप्ता के किया था। इस मंदिर के भारत माता की मूर्ति नहीं है, सिर्फ भारत का संगमरमर से बना हुआ नक्शा लगाया है। यह नक्शा 30,000 वर्ग फीट में फैला हुआ है।
8. Veerbhadra Temple
वीरभद्र मंदिर वाराणसी के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के रूप, वीरभद्र के लिए समर्पित है। यह मंदिर इतना प्राचीन है की इसे देखने के लिए पर्यटक और भक्त बहुत दूर दूर से यहाँ आते है। इसके अलावा इस मंदिर की प्राचीन कथा के अनुसार कहा जाता है की, भगवान वीरभद्र का जन्म देवी सती की आत्मा के पुनर्जन्म के रूप में हुआ था इसलिए यह मंदिर का बनाया गया था। वीरभद्र मंदिर में दिवाली, हनुमान जयंती, सावन और महाशिवरात्रि जैसे प्रमुख हिन्दू त्यौहार बहुत धूम धाम से मनाये जाते है। इन त्योहारों के दौरान मंदिर को फूल और पत्तों से बहुत अच्छी तरह से सजाया जाता है।
9. Durgakund
दुर्गाकुंड वाराणसी का एक सबसे लोकप्रिय कुंड,मंदिर और धार्मिक स्थलों में से एक है। इस कुंड की प्राचीन कथा के अनुसार कहा जाता है की, देवी दुर्गा ने इस जगह पर राक्षसों का वध करके भक्तों की रक्षा की थी। इसलिए इस जगह को “दुर्गाकुंड” नाम से जाना जाता है। यहाँ के मंदिर में दुर्गा देवी की एक सुन्दर मूर्ति की स्थापना की गई है। यहाँ हरसाल नवरात्री के दिनों सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमे गरबा और डांस होते है। भक्त लोग यहाँ के कुंड में स्नान करके दुर्गा देवी का आशीर्वाद लेते है। नवरात्रि के सिवाय यहाँ दीवाली, दशहरा, मकर संक्रांति जैसे त्यौहार भी बड़ी धूम धाम से मनाये जाते है।
10. Alamgir Mosque
अलमगीर मस्जिद वाराणसी की सबसे पुराणी मस्जिदों में से एक है। अलमगीर मस्जिद का निर्माण 17वीं सदी में मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब के शासनकाल में किया गया था। इस मस्जिद को ‘कैसर बाग मस्जिद’ के नाम से भी जाना जाता है। मस्जिद का प्रवेश द्वार बहुत बड़ा है और इस पर बहुत बारीकीसे नक्षीकाम किया गया है, जो देखने में बहुत सुन्दर लगता है।
यह मस्जिद वाराणसी के एक ऊंचाई पर स्थित जय, जहां से वाराणसी शहर का बहुत खूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है। इस मस्जिद में हर रोज बहुत लोग घूमने के लिए आते है। शुक्रवार के दिन यहाँ सबसे जयादा भीड़ रहती है, क्यूंकि शुक्रवार को यहाँ सबसे ज्यादा मुस्लिम भाई नमाज अदा करने के लिए आते है। अलमगीर मस्जिद में ईद और बकरी ईद जैसे त्यौहार बहुत अच्छी तरह से मनाये जाते है। इसमें सभी प्रकारके सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
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