कर्णाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु जिसे भारत का आईटी हब भी कहा जाता है। बेंगलुरु भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। यह शहर भारत के सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाले शहरों शामिल है। बेंगलुरु बड़े बड़े आईटी पार्क है इसलिए बेंगलुरु पुरे देश में ‘सिलिकॉन वैली ऑफ इंडिया’ के रूप में खूब प्रसिद्ध है। इस शहर में Infosys, Wipro, और TCS जैसी बड़ी बड़ी कंपनियों के आईटी पार्क है। बेंगलुरु में प्राचीन मंदिर और संग्रहालय के साथ साथ नई टेक्नोलॉजी से बनाई गई ईमारत और मेट्रो ट्रेन देखने को मिलती है। यहाँ धार्मिक स्थलों का भी बहुत महत्व है। इस लेख में हम आपको बेंगलुरु के सबसे ज्यादा लोकप्रिय मंदिरों के बारे में जानकारी देने वाले है।
1. ISKCON Temple
बेंगलुरु के राजीवनगर क्षेत्र में स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर (इस्कॉन मंदिर) एक बहुत सुन्दर मंदिर है। इस्कॉन मंदिर का निर्माण 1997 में हुआ था और इसका निर्माण अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (International Society for Krishna Consciousness, ISKCON) ने किया था। मंदिर में राधा और कृष्ण की सुन्दर मूर्तियों की स्थापना की गई है। इन मूर्तियों के साथ मंदिर में बलराम, सुभद्रा, जगन्नाथ की मुर्तिया देखने को मिलती है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक बहुत बड़ा गोपुरम है, जो दूर दूर से दिख जाता है। इस मंदिर में राधा और कृष्ण की पसंदीदा मंगल आरती और संध्या आरती बहुत लोकप्रिय है।
मंदिर में जन्माष्टमी और राधाष्टमी जैसे मुख्य त्यौहार बड़े जोर शोर के साथ मनाये जाते है। इस त्यौहार का आनंद लेने के लिए स्थानीय लोगों के साथ साथ बाहर गांव के लोग भी यहाँ आते है। इस्कॉन मंदिर के परिसर में एक पुस्तकालय है, जहां भगवान कृष्ण की कथायें, भगवद गीता, महाभारत जैसे धार्मिक पुस्तकों का प्रदर्शन किया गया है। मंदिर के अंदर गोविंदा नाम का एक भोजनालय बनाया गया है। जहां मंदिर का प्रसाद के साथ साथ स्वादिष्ट खाना खाने को मिलता है। यह मंदिर सुबह 4:30 खुलता है, इस समय मंगला आरती होती है। और मंदिर को रात को 9:00 बजे संध्या आरती के बाद बंद किया जाता है।
2. Bull Temple
बेंगलुरु के बसवनगुड़ी क्षेत्र में स्थित नंदी मंदिर जिसे बुल टेम्पल नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में शंकर जी के वाहन नंदी बैल की पूजा की जाती है। यह मंदिर बेंगलुरु के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। जिसे विजयनगर साम्राज्य के राजा केम्पे गौड़ा ने 1600 वी सदी में बनाया था। मंदिर के अंदर नंदी की 15 ऊँची और 20 फिट लंबी मूर्ति की स्थापना की गई है।
इस मूर्ति की खास बात यह है की, इस मूर्ति को एक बड़े काले ग्रेनाइट पत्थर को काटकर बनाई गई है। इस मूर्ति को काले ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है, लेकिन भक्त इस मूर्ति पर मूंगफली के तेल का अभिषेक करते है इसलिए इस मूर्ति का रंग अभी थोड़ा थोड़ा सफ़ेद होता जा रहा है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की, अगर आपकी कोई इच्छा है और आप भगवान शिव वह बताना चाहते हो तो आप यहाँ के नंदी जी के कान में वह बात बोल देना। आपको बात महादेव जरूर सुनेंगे। इस मंदिर के पास में ही गणेश जी का डोड्डा गणेश मंदिर है। आप वहां दर्शन लेने के लिए जा सकते हो। नंदी मंदिर मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 5:30 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।
3. Chamundi Temple
कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर के पास में स्थित चामुंडी हिल्स पर देवी दुर्गा का मंदिर चामुंडा मंदिर है। यह मंदिर निचे ऊपर तक 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चामुंडी मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में होयसल राजवंश के समय में किया गया था। फिर बाद में चामुंडेश्वरी देवी के भक्त वोडेयार राजाओं ने इस मंदिर का काम काज पूरा किया। मंदिर में देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति महिषासुर का वध करते हुए दिखाई गई है। इस मूर्ति के साथ मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर राक्षस महिषासुर की एक बड़ी मूर्ति है।
राक्षस महिषासुर का वध देवी चामुंडेश्वरी ने किया था इसलिए यहाँ इस राक्षक की मूर्ति भी है। चामुंडी हिल्स के मंदिर तक पहुंचने के लिए 1,008 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती है। यह सीढिया अभी अभी बनाई गई है, तो ऊपर चढ़ने में कोई दिक्कत नहीं होती। चामुंडी मंदिर में हर साल नवरात्री और दशहरा जैसे बड़े त्यौहार बहुत सुन्दर तरीके से मनाये जाते है। मंदिर के चारों ओर से लाइटिंग और फूलों से सजाया जाता है। इस दौरान मंदिर लाखों भक्त यह शामिल होते है। चामुंडी मंदिर हर रोज सुबह 7:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक, और फिर शाम 3:30 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
4. Gavi Gangadhareshwar Temple
बेंगलुरु के बसवनगुड़ी क्षेत्र में स्थित गवी गंगाधरेश्वर मंदिर एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। गवी गंगाधरेश्वर मंदिर बेंगलुरु के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इन मंदिर का निर्माण 1600 वी सदी में बेंगलुरु के संस्थापक केम्पे गौड़ा ने किया था। इस मंदिर में भगवान शिव जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिरकी खास बात यह है की, यह मंदिर एक गुफ़ा के अंदर है। मतलब पत्थरों को काटकर एक गुफा बनाई गई और उसके अंदर इस मंदिर को बनाया गया।
मंदिर के शिवलिंग, पार्वती, गणपती जी मूर्तियों की स्थापना की गई है। इस मंदिर की सबसे अद्भुत और प्रसिद्ध बात मतलब, इस मंदिर में मकर संक्रांति के दिन सूरज की किरणे प्रवेश द्वार से निकलकर सीधी शिवलिंग के ऊपर गिरती है। यह घटना सिर्फ मकर संक्रांति के दिन होती है और सिर्फ 2 से 3 मिनटों तक रहती है। इस घटना को देखने के लिए शिव भक्त दूर दूर से यहाँ आते है।
इस मंदिर के चार स्तंभ को हवा, आग, पानी और आकाश का नाम दिया है। इसके अलावा साल की हर महाशिवरात्रि के शुभ त्यौहार पर गुफ़ा और मंदिर को दियो से सजाया जाता है। गवी गंगाधरेश्वर मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है।
5. Cubbon Park Temple
बेंगलुरु के काब्बन पार्क में स्थित श्री वेंकटेश्वर मंदिर एक बहुत लोकप्रिय मंदिर और पर्यटन स्थल है। इस मंदिर में भगवान विष्णु का रूप वेंकटेश्वर की पूजा की जाती है। मंदिर का बहुत बड़ा बनाया गया है। जो 10 से 15 फिट ऊँचा है। काब्बन मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति के साथ साथ हनुमान जी और माता लक्ष्मी की मूर्तियों की स्थपना की गई है। यह मंदिर काब्बन पार्क में होने के कारन लोग यहाँ मंदिर के दर्शन के साथ साथ पार्क में घूमने या पिकनिक मनाने के लिए भी जा सकते है।
इस मंदिर में हर साल ब्रह्मोत्सवम, वैकुंठ एकादशी जैसे दो प्रमुख त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाये जाते है। इसका लाभ लेने के लिए भक्त लोग बड़ी दूर से यहाँ जाते है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है की, मंदिर बेंगलुरु शहर के बीचों बिच में होने के कारन यहाँ पहुंचना बहुत आसान होता है। मंदिर में दर्शन लेने का समय सुबह 6:00 बजे से दोपहर12 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक का है। मंदिर के साथ काब्बन पार्क का भी यही समय है।
6. Chokhi Dhani Temple
चोकी धानी बेंगलुरु का एक बहुत लोकप्रिय सांस्कृतिक पर्यटन स्थल है। यह सिर्फ एक मंदिर नहीं है, बल्कि थीम पार्क है और उसके अंदर मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर को राजस्थनी वास्तुकला से बनाया गया है। मतलब जो भी पर्यटन यहाँ जाते है, उनके ऐसा लगता है की, हम लोग सच में राजस्थान में आये है। इसकी खास बात यह है की, सिर्फ मंदिर ही राजस्थानी वास्तुकला का नहीं है, तो यहाँ खाना भी राजस्थानी स्वाद का ही है।
मंदिर के परिसर में कुछ स्टॉल्स लगाए गए है, जहां राजस्थान का स्वादिष्ट खाना मिलता है। जिसमे सबसे प्रसिद्ध दाल-बाटी-चूरमा और गट्टे की सब्जी है। इस परिसर में पर्यटकों को ऊंट और बैलगाड़ी की सवारी करने का मौका मिलता है। यह मंदिर सुबह 8 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।
7. Sampangi Anjaneya Temple
संपंगी अंजनेय मंदिर बेंगलुरु में स्थित एक बहुत प्राचीन मंदिर है। जिसमे भगवान हनुमान जी की “अंजनेय” के रूप में पूजा की जाती है। “संपंगी” बेंगलुरु का एक क्षेत्र है, वहा पर इस मंदिर की स्थापना की गई है। इसलिए इस मंदिर को संपंगी अंजनेय मंदिर इस नाम से जाना जाता है। मंदिर में हनुमान जी की एक बहुत बड़ी मूर्ति है, जो बहुत प्राचीन पत्थरों से बनाई है। इस मंदिर में भक्तों को शांति का अनुभव मिलता है, इसलिए भक्त हर रोज यहाँ आते है।
यह हनुमान जी का मंदिर होने के कारन यहाँ हर शनिवार को भक्तों की बहुत भीड़ रहती है। हनुमान जी को ताकद, भक्ति, और साहस का देवता माना जाता है इसलिए भक्त हनुमान जी को लोंग की माला और काली उड़द की दाल का भोग चढ़ाते है। हनुमान जयंती के शुभ दिन पर मंदिर को चारों ओर से फूल और दियो से सजाया जाता है। इस मौके के पर भक्त बड़ी दूर दूर से यहाँ दर्शन करने के लिए आते है। यह मंदिर हर रोज भक्तों को दर्शन के लिए सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है।
8. Mahabaleshwar Temple
बेंगलुरु का महाबलेश्वर मंदिर प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरो में से एक है। इस मंदिर में भगवान शिव शंकर की पूजा की जाती है। पुराणे स्थानीय लोगों द्वारा कहा जाता है की इस मंदिर की स्थापना चोल और होयसल वंश के लोगों ने की थी। महाबलेश्वर का मतलब “महान शक्ति वाले भगवान” ऐसा होता है। महाबलेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार बहुत बड़ा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 12 फिट है।
मंदिर के अंदर शिवलिंग की स्थपना की गई है, जिसको बनाने के लिए काले संगमरमर पत्थर का उपयोग किया गया है। यहाँ की बड़ी बड़ी दीवारों पर सभी देवताओं के चित्र बनाये है, जो पास से देखने में बहुत बढ़िया दीखते है। इस मंदिर में महाशिवरात्रि, सावन और कार्तिक मास जैसे त्योहारों को बहुत धूम धाम से मनाया जाता है और मंदिर को चारों और से सजाया जाता है। बेंगलुरु का महाबलेश्वर मंदिर भक्तों को दर्शन के लिए सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक खुला राहता है ।
9. Raghavendra Swamy Math
रघवेंद्र स्वामी मठ बेंगलुरु का एक शांति का केंद्र है। इस मठ में रघवेंद्र स्वामी की समाधी की स्थापना की गई है। रघवेंद्र स्वामी भारत के महान संतों में से एक थे और इनका जन्म 17वीं सदी में हुआ था। इस मठ में आने वाले लोगों को शांति और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव मिलता है। यहाँ की रघवेंद्र स्वामी की समाधी को बृंदावन भी कहा जाता है।
रघवेंद्र स्वामी मठ में स्वामी जी के वस्तुओं का संग्रह भी देखने को मिलता है। जिसे देखने के लिए भक्त बड़ी संख्या से यहाँ आते है। मठ में रघवेंद्र स्वामी की जन्मतिथि और पुण्यतिथि के दिन भक्त यहाँ शामिल होते है। इसके अलावा गुरुपूर्णिमा के यहाँ भक्तों की बहुत भीड़ जमा हो जाती है। पर्यटकों के लिए यह मठ हर रोज सुबह शाम खुला रहता है।
10. Kalika Devi Temple
कालिका देवी का मंदिर कहा भी हो, वहां भक्तों की भीड़ आवश्य देखने को मिलती है। ऐसा ही एक कालिका देवी मंदिर बेंगलुरु में स्थित है। इस मंदिर में बेंगलुरु के साथ साथ बाकि शहरों से भी भक्त दर्शन के लिए जाते है। इस मंदिर की स्थापना 19वीं सदी में हुई थी। इस मंदिर को बेंगलुरु के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। मंदिर में कालिका देवी की एक बहुत सुन्दर मूर्ति की स्थपना की गई है, जिसे हर रोज सोने के आभूषनो से सजाया जाता है।
इसके अलावा मंदिर के सभी दीवारों पर भगवानों के चित्र उकेरे गए हैं। नवरात्रि का शुभ त्यौहार कालिका देवी मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर यहाँ डंडियों का भी आयोजन किया जाता है। कालिका देवी मंदिर सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है।
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