मैसूर एक ऐसी जगह है, जहाँपर आपको प्राचीन से जुडी बहुत सारी जगह पर घूमने का मौका मिलता है। मैसूर शहर महलों के शहर के नाम से महशूर है। क्यूंकि यहापर आपको कई सारे महल देखने को मिलते है। मैसूर में शानदार शाही विरासत, वास्तुकला, चित्रशैली, रेशमी साड़ियों, भंडार है। मैसूर कर्नाटक का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। इसके साथ ही यह भारत के ब्रिटिश साम्राज्य में तीन सबसे बड़ी रियासतों में से एक था। मैसूर में आपको बहुत अच्छी अच्छी जहाज घूमने के लिए मिलती है। जहा पर आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने के लिए जा सकते है।
मैसूर शहर के हर पैलेस का कामकाज प्राचीन शैली के तरह बनाया गया है। जहा पर आपको वास्तुकला, सुंदर पेंटिंग, समृद्ध रंगों और रंगीन कांच की खिड़किया देखनेको मिलती है। इस लेख में हम आपको मैसूर की 10 ऐसे जगह के बारे में बताने वाले है, जहाँपर आप कम पैसो में और कम समय में घूम सकते है।
1. Mysore Palace
मैसूर पैलेस कर्नाटक राज्य के मैसूर में स्थित एक शानदार पैलेस है। इस पैलेस को अंबर विलास पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। इस पैलेस को महाराजा कृष्णराज वाडियार चतुर्थ के द्वारा निर्माण करवाया गया था। महाराजा कृष्णराज के निधन के बाद उनके बेटे और महाराजा जयचमराज वाडियार ने इस पैलेस को बड़ा किया। मैसूर पैलेस को सं 1912 में वोडेयार राजवंश के 24वें शासक के लिए किया गया था। इस पैलेस की खास बात उसके अंदर की सजावट है। जो यात्री इस पैलेस में जाते है, और वहा की सजावट देखते है, तो वह सजावट देखकर तंग रह जाते है।
मैसूर पैलेस की एक और खास बात यह है की ताजमहल के बाद इस पैलेस में सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक यहाँ आते है। इस पैलेस में शानदार दरबार हॉल, कांच की खिड़किया, और सबसे खास हाथो से की गई नक्षी काम है। मैसूर पैलेस को हर साल दशहरे के दिन लाइटिंग और दिए के अच्छी तरह से सजाया जाता है। यह नजारा देखने लायक होता है। इसे देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। इसके साथ इस पैलेस के बाहर एक बड़ा मैदान है, जहाँपर अलग अलग प्रकार के वस्तुओं की दुकाने लगती है। जैसे की नक्षी काम पेंटिंग, चप्पल, बूट, कपडे। आप यह पर कम दाम पर अच्छी खरीदारी कर सकते है।
2. Chamundi Hills
चामुंडी हिल्स मैसूर में देखने के लिए एक अच्छी जगह है। यह पहाड़ मैसूर से लगभग 15 किलोमीटर की दुरी पर है। इसे एक पवित्र और ऐतिहासिक स्थल माना जाता है। इस पहाड़ पर चामुंडेश्वरी देवी का मंदिर है, इसलिए इस पहाड़ का नाम चामुंडी हिल्स रखा गया है। यह मंदिर पहाड़ पर 1000 मीटर की पर स्थित है। इस मंदिर के मुख्य गेट को गोपुरम नाम से जाना जाता है, जिसकी उचाई 7 मंजिला ऊँची है। इस गेट में 1000 देवी की मुर्तिया लगाई गई है। जो देखने में बहुत अच्छी लगती है। इस मंदिर तक जाने के लिए पर्यटक को 1008 सीढ़िया चढ़नी पड़ती है।
अगर आपको यह सीढ़िया नहीं चढ़नी तो मंदिर के ट्रस्ट ने सड़क का भी इंतजाम किया है।सीढ़ीओं से जाने का एक फायदा यह है की, रास्ते में एक नंदी की 350 साल पुराणी मूर्ति देखने को मिलती है। इस मूर्ति की उचाई 15 फिट है। इस पहाड़ से मैसूर गांव का नजारा और मैसूर पैलेस बहुत अच्छा दिखता है। चामुंडी हिल्स पर जाने का सबसे अच्छा समय सुबह और शाम का है। इस समय पर यहाँ का मौसम ठंडा रहता है । अगर आप इस साल मैसूर जाने का का प्लान बना रहे है, तो चामुंडी हिल्स जाना न भूले। क्यूंकि इस पहाड़ पर आपको सुकून, शांति, हरियाली, और धार्मिक आस्था का एहसास मिलता है।
3. Karanji Lake
इस झिल का क्षेत्र 90 एकड मे फैला दुआ है। यह झील 20 मीटर लंबा और 60 मीटर ऊंचा है। करंजी झील को देखने के लिए हर रोज लगभग 500 से 1000 लोग इसे देखने के लिए आते है। इस झील के चारों ओर सभी प्रकार के पेड़ लगाए गये है। इसलिए यह का वातावरण पूरी तरह से हरियाली से घिरा हुआ है। इसके साथ 100 से ज्यादा प्रजातियों के पशु पक्षी की के घर यह है। करंजी झील बटरफ्लाई पार्क (तितलियों का पार्क) के नाम से भी जाना जाता है।
इस झील के चारों ओर रंगीबिरंगी तितलियों घूमती रहती हैं। इसलिए यह नजारा भी देखने लायक होता है। इसके साथ झील के किनारे पर पैदल पथ भी बनाया गया है। इसके साथ यात्रियों के लिए नाव की भी सुविधा की गई है, इसके साथ आप शांति और सुकून का एहसास मिलता हैं। करंजी झील गांव से ओर भीड़ भाड़ वालीं जगहों से दूर होने के कारण यह अच्छा लगता हैं। अगर आप भी मैसूर आ रहे है तो, इस झील को देखना ना भुले।
4. Somanathapura
सोमनाथपूरा मैसूर का एक सुन्दर गांव है। मैसूर से यह गांव 35 किलो मीटर की दुरी पर है। इस गांव में सोमनाथपूरा नाम का मंदिर भी है। इस मंदिर को प्रसन्ना चेन्नाकेशव मंदिर या केशव मंदिर इस नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर होयसल वास्तुकला का उत्तम उदाहरण है, इसके साथ ही यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में नामांकित होने वाले तीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर होयसल राजा नरसिंह तृतीय द्वारा 13वी शताब्दी में बनवाया गया था। इस मंदिर के बाहर की दीवारों पर अनोखी वास्तुकला की गई है। जो देखने में बहुत सुंदर दिखती है।
इसमें सभी प्रकार के भगवान, रामायण, महाभारत कथाओँ, की कलाकृति की गई है। होयसल राजा नरसिंह के उस समय 1500 से भी ज्यादा मंदिर बनवाये थे उसमे से यह मंदिर सबसे खास है। क्यूंकि इस मंदिर की कलाकृति बाकि मंदिरोंसे सबसे अलग है, और इस मंदिर को देखने के लिए यात्री बड़ी दूर से आते है। यह मंदिर तीन गर्भगृह से बनाया गया है। जिसमे चेनकेशव, जनार्दन और वेंकटनारायण की मूर्तियाँ रखी हुई है। मंदिर के अंदर का परिसर भी बहुत बड़ा है। इस मंदिर की वास्तुकला इतनी सुन्दर है की, इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।
5. Mysore Rail Museum
मैसूर रेल संग्रहालय को भारतीय रेल द्वारा 1979 में बनाया गया था। इस इस संग्रहालय में आपको भाप इंजन, डीजल इंजन, पुरानी लकड़ी के डिब्बे, पुराणी रेल तस्वीर का भव्य संग्रह देखने को मिलता है। इनमें से कुछ इंजन और डिब्बे ब्रिटिश ज़माने के भी है, जिसे देखने में आपका मन भर जायेगा। यह संग्रहालय दक्षिण भारत का सबसे पहला और बड़ा संग्रहालय है। यह संग्रहालय में बड़ी आदमी या छोटे बच्चे दोनों आ सकते है, और कुछ नया सिख सकते है।
इस संग्रहालय में एक छोटी रेल भी है, जो संग्रहालय के अंदर चल सकती है, आप उसमे बैठकर संग्रहालय के अंदर की सवारी भी कर सकते है। इसके अलावा, संग्रहालय में मैसूर के शाही परिवार के लिए बनाई गई विशेष सैलून कार को भी रखा गया है। संग्रहालय के चारो ओर बड़े बड़े पेड़ लगाये गए है, इससे वह का परिसर हरियाली से भर जाता है। यह संग्रहालय देखने के लिए यात्री बड़ी दूर दूर से आते है। इस संग्रहालय को पूरा घूमने के लिए आपके पास सिर्फ दो से तीन घंटे का समय चाहिए। यहाँ पर आपको पर पर्सन 15 रूपये का टिकट लेना होगा।
6. Jagmohan Palace
जगमोहन पैलेस एक पुराणी और ऐतिहासिक इमारत है। इस पैलेस को 1861 में वाडियार राजवंश द्वारा बनवाया गया था। यह पैलेस शाही परिवार का मुख्य पैलेस है। जगनमोहन पैलेस बड़ा, वास्तुकला, और कला संग्रह के लिए प्रसिद्ध है और, आज इसे एक आर्ट गैलरी और संग्रहालय के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर के अंदर और बाहर चित्रकला और नक्षीकाम काम किया गया है।
यह नक्षीकाम पूरी तरह से लकडिओ से बनाया गया है। इसके साथ सुंदर दरवाजे, खिड़किया, बड़े बड़े स्तंभ है। इस गैलरी में आपको राजा रवि वर्मा की प्रसिद्ध पेंटिंग्स, दक्षिण भारतीय चित्रकारी, और अन्य कलात्मक कृतियों का संग्रह देखने को मिलेगा। साथ ही प्राचीन सिक्के, दुर्लभ कलाकृतियां, शिलालेख, और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएं भी देखने को मिलेंगी। इस गैलरी में भगवन कृष्ण और भगवन राम के जीवन से जुडी कहानिया भी है। जिससे आपको पौराणिक कथाओं के बारे में सीखने को मिलेगा।
इसके साथ यहां मैसूर के राजाओं और रानियों के चित्र, सभी प्रकार के त्यौहारों और धार्मिक संतो का भी चित्र बनवाया गया है। जगनमोहन पैलेस का दरबार हॉल भी विशेष रूप से आकर्षक है। इस हॉल में अलग अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाती हैं। यह पैलेस देखने के लिए लोग बड़ी दूर दूर से आते है। इस पैलेस को घूमने के लिए आपके पास 1 से 2 घंटे का समय होना चाहिए।
7. St. Philomena Church
सेंट फिलोमेना चर्च मैसूर की एक प्रमुख घूमने की जगह है । यह चर्च भारत के सबसे बड़े और ऊंचे चर्चों में से एक है और, इसे गॉथिक शैली में बनाया गया है। 1939 में इस चर्च का नीर्माण किया गया था। यह चर्च मैसूर के महाराजा कृष्णराज वाडियार IV द्वारा सेंट फिलोमेना के सम्मान में बनवाया गया था। यह चर्च की बनावट यूरोपीय चर्चों से प्रेरित है। इस चर्च में दो बड़ी बड़ी मीनारे है, जिसकी ऊचाई लगभग 175 फिट है।
यह मीनारे मसूर शहर के किसी भी कोनों में दिखती है। चर्च के अंदर भी गॉथिक शैली का उपयोग किया गया है। इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती ऊंची छत, सजी हुई खिड़कियां, और रंगीन कांच की खिड़कियां है। रंगीन कांच की खिड़कियों की खास बात यह है कि, इन खिड़कियों पर बाइबल के चित्र बनाये गई ही। जब इस खिड़कियोसे धुप आती है, चर्च के अंदर का भाग अलग अलग रंगो से भर जाता है। जो देखने में बहुत सुन्दर लगता है। इस चर्च के अंदर सेंट फिलोमेना के मूर्ति की स्थापना कि गई है। यहां प्रार्थना करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। चर्च के अंदर शांति और पवित्र वातावरण देखने को मिलता है।
8. Lalit Mahal
ललित महल मैसूर का दूसरा सबसे बड़ा महल है। इसे 1921 में बनवाया गया था। इसे मैसूर के महाराजा कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ के आदेश पर भारत के तत्कालीन वायसरायऑफ़ इंडिया के ठहरने के लिए तैयार किया गया था। यह महल आज के युग में 5 स्टार होटल से कम नहीं है। इसकी वास्तुकला देखने के लिए पर्यटक बड़ी दूर से आते है। इस वास्तुकला में भारतीय और यूरोपियन शैली का मिश्रण देखने को मिलता है। महल की ईमारत सफ़ेद संगमरमर के पत्थर की बनवाई गई है। इस ईमारत में डबल स्तंभ, बड़े-बड़े बरामदे, और एक भव्य मस्तक शामिल है।
इस मुख्य आकर्षण केंद्रीय मस्तक है, जिसे देखकर सेंट पॉल कैथेड्रल, लंदन कीं याद आती है। महल को अंदर से शाही अंदाज में सजाया गया है। जैसे की शानदार झूमर, भव्य फर्नीचर, बड़े-बड़े हॉल, और सजी हुई दीवारें। हॉल में संगमरमर की फर्श, सुंदर चित्रकला, और लकड़ी से बने हुए नक्षीकाम लगाए गए है। इसके साथ डाइनिंग हॉल में बेल्जियम के शीशे और बड़े बड़े झूमर लगाए गए है। जो दिखने में बहुत सुन्दर दिखते है। इस महल के चारो ओर पेड़ लगाए गए है। इससे यहाँ का वातावरण हरियाली हो जाता है। महल के ऊपर से चामुंडी हिल्स की पहाड़ भी दिखती है।
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